पति के जिंदा होते हुए भी हर साल विधवा जैसी जिंदगी जीती हैं यहां की महिलाएं, 5 महीने नहीं लगातीं सिंदूर
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पति के जिंदा होते हुए भी हर साल विधवा जैसी जिंदगी जीती हैं यहां की महिलाएं, 5 महीने नहीं लगातीं सिंदूर

देश में एक ऐसा समुदाय (Gachwaha Community) है, जिस समुदाय की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर साल विधवा (Widow) जैसी जिंदगी जीती हैं. इस समुदाय की महिलाएं पति के जिंदा होते हुए भी हर साल 5 महीने के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं.

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Ajab Gajab News: भारत में तमाम तरह की धार्मिक परंपराएं (Religious Practices), रीति-रिवाज (Customs and Traditions) तथा कर्मकांड (Ritual) देखने को मिलते हैं. कुछ परंपराएं इतनी अजीबोगरीब (Strange Traditions) हैं, जिनके बारे में सुनकर आश्चर्य भी होता है. आज आपको हम ऐसे ही एक अनोखे रिवाज (Unique Ritual) के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर यकीनन आपको हैरानी होगी. 

  1. पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहता है गछवाहा समुदाय
  2. ताड़ी उतारने का काम करते हैं समुदाय के पुरुष
  3. तरकुलहा देवी को मानता है अपना कुलदेवी

यह तो सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म (Hinduism) में शादी के बाद महिलाएं सुहागिनों (Married Women) की जिंदगी जीती हैं, और उनके लिए बिंदी, सिंदूर (Vermilion), महावर जैसी चीजों से श्रृंगार (Makeup) जरूरी माना जाता है. यह सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक होता है. हिंदू धर्म के अनुसार, अपने पति की लंबी उम्र के लिए स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. सोलह श्रृंगार न करना अपशगुन भी माना जाता है. 

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पति की लंबी उम्र के लिए विधवा की जिंदगी जीती हैं महिलाएं

दूसरी तरफ देश में एक ऐसा समुदाय है, जिस समुदाय की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर साल विधवा जैसी जिंदगी जीती हैं. इस समुदाय की महिलाएं पति के जिंदा होते हुए भी हर साल 5 महीने के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं. हम जिस समुदाय की बात कर रहे हैं, वह गछवाहा समुदाय (Gachwaha Community) है. इस समुदाय की स्त्रियां इस अनोखी परंपरा का लंबे समय से पालन करती आ रही हैं. यहां तक कि अपने पति की लंबी उम्र के लिए वह 5 महीने तक उदास भी रहती हैं.

गछवाहा समुदाय के लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहते हैं. इस समुदाय के आदमी पांच महीने तक पेड़ों से ताड़ी उतारने का काम करते हैं. इसी दौरान महिलाएं विधवाओं की तरह जिंदगी जीती हैं. ये वही महिलाएं होती हैं, जिनके पति ताड़ी उतारने जाते हैं. इस वक्त महिलाएं न तो सिंदूर लगाएंगी और न ही माथे पर बिंदी लगाएंगी. इसके अलावा वह किसी तरह का कोई श्रृंगार भी नहीं करतीं.

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कुलदेवी को खुश करने के लिए करती हैं ऐसा काम

गछवाहा समुदाय तरकुलहा देवी को अपना कुलदेवी मानता है और उनकी पूजा करता है. बता दें कि ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारना काफी कठिन काम माना जाता है. ताड़ के पेड़ काफी ज्यादा लंबे और सीधे होते हैं. इस दौरान अगर जरा सी भी चूक हो जाए तो इंसान पेड़ से नीचे गिरकर मर सकता है. इसीलिए उनकी पत्नियां कुलदेवी से अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं तथा अपने श्रृंगार को माता के मंदिर में रख देती हैं. समुदाय का मानना है कि ऐसा करने से कुलदेवी प्रसन्न हो जाती हैं, जिससे उनके पति काम के बाद सकुशल वापस लौट आते हैं. 

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