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मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) ने पारंपरिक आउटडोर खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए डिजाइन की गई एक पहल में स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए नए शैक्षणिक सत्र से शारीरिक शिक्षा में गिल्ली डंडा, मार्बल्स और स्टापू (हॉप्सकॉच) जैसे खेल शुरू करने का फैसला किया है. ये खेल बीए (शारीरिक शिक्षा) की डिग्री के तहत एक नए विषय 'द ट्रेडिशनल गेम्स ऑफ इंडिया' का हिस्सा होंगे.
विश्वविद्यालय के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. वर्तमान में, शारीरिक शिक्षा के छात्रों को वॉलीबॉल, कुश्ती, तैराकी, क्रिकेट और बास्केटबॉल जैसे 25 खेलों से जुड़े विषय पढ़ाए जाते है.
सीसीएसयू में शारीरिक शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर के.के. पांडे ने कहा, 'यह उन खेलों को मान्यता प्रदान करेगा जिन्हें हम सभी ने बचपन में खेला है. लेकिन अब वे सभी खेल खो रहे हैं. स्कूली बच्चों को ऐसे खेलों में प्रशिक्षित करने के लिए सुसज्जित होना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि खेल आपको ताकत बढ़ाने में भी मदद करते हैं.
उन्होंने कहा, 'पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाले खेलों में से एक को 'काई डंडा' कहा जाता है, जो आमतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेला जाता है. मध्य प्रदेश में इसे 'आम डाली' के रूप में जाना जाता है. यह बच्चों को आम के पेड़ पर चढ़ने के लिए प्रेरित करता है. यह खेल न केवल एक बच्चे में मांसपेशियों को मजबूत करता है बल्कि उन्हें ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है. हमें उम्मीद है कि सीसीएसयू में इन खेलों की शुरूआत उनके पुनरुत्थान में एक लंबा सफर तय करेगी.'