Bihar Nilgai Killing: बिहार में इन हजारों जानवरों को गोली मारने के आदेश, शूटर बुलाए गए
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Bihar Nilgai Killing: बिहार में इन हजारों जानवरों को गोली मारने के आदेश, शूटर बुलाए गए

Wild Boar Killing Bihar: किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब 13 प्रोफेशनल शूटरों की मदद से नीलगाय और जंगली सूअरों को मारने का अभियान चलाया जाएगा. कुछ संगठनों ने सवाल उठाया है. उनका कहना है कि गोली मारने से समस्या का समाधान नहीं होगा. 

Bihar Nilgai Killing: बिहार में इन हजारों जानवरों को गोली मारने के आदेश, शूटर बुलाए गए

बिहार सरकार नीलगाय और जंगली सुअर को मारने के लिए एक अभियान चलाने जा रही है. इन जानवरों से किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के 13 पेशेवर शूटरों को इस काम में मिशन मोड में लगाया जा रहा है. ये लोग ही नीलगाय और जंगली सुअरों को देखते ही गोली मारेंगे. विभाग ने एक बयान में बताया है कि इन पशुओं को मारने से लेकर दफनाने तक की पूरी प्रक्रिया में गांव के मुखिया की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. 

घोड़परास को ठांय-ठांय

राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार और कृषि मंत्री मंगल पांडे की अध्यक्षता में हुई संयुक्त बैठक के दौरान राज्य में ‘घोड़परास’ नाम से मशहूर नीलगायों और जंगली सूअरों को मारने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया. बिहार के करीब 30 जिले इन दोनों जानवरों के आतंक से प्रभावित हैं. एक अनुमान के मुताबिक इन जिलों में घोड़परास की कुल संख्या करीब तीन लाख है जबकि जंगली सूअरों की तादाद तकरीबन 67,000 है.

मुखिया जी देंगे बुलाएंगे शूटर और...

प्रेम कुमार ने बताया, 'वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार संरक्षित क्षेत्र के बाहर पेशेवर शूटर की मदद से इन दोनों प्रजातियों की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को नोडल प्राधिकारी नियुक्त किया गया है. संबंधित मुखिया पर्यावरण एवं वन विभाग तथा कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय कर अपने क्षेत्र के किसानों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर पेशेवर शूटर द्वारा नीलगाय तथा जंगली सूअर को मारने की अनुमति दे सकते हैं.' उन्होंने कहा कि ये दोनों जानवर झुंड में घूमते हैं और एक दिन में कई एकड़ फसलों को नष्ट कर देते हैं.

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मंत्री ने कहा कि राज्य के कुछ जिलों में किसान अपनी तैयार फसलों को नीलगाय और जंगली सूअर से बचाने के लिए पूरी रात रखवाली करते हैं. इससे न केवल फसलों को नुकसान होता है बल्कि नीलगाय सड़क हादसों की वजह भी बनती हैं. मंत्री ने कहा कि मानव-पशु संघर्ष के कारण कई लोगों की जान भी चली गई है.

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मंत्री ने कहा कि सरकार उन किसानों को मुआवजा (50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर) भी देती है, जिनकी फसलों को इन दोनों जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है. ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया के प्रबंध निदेशक आलोकपर्ण सेनगुप्ता ने सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की. उन्होंने तर्क दिया कि जानवरों को मारना एक स्थायी समाधान नहीं है और मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या को हल करने के लिए अधिक प्रभावी उपायों की जरूरत है. (भाषा) (Pic- Microsoft AI)

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