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Delhi Vada Pav Girl: दिल्ली की मशहूर वड़ा पाव गर्ल चंद्रिका गेरा दीक्षित (Chandrika Gera Dixit) को टेस्टी वड़ा पाव बेचने के लिए पहचान मिली. यह महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है, जिसमें तले हुए आलू की पकौड़ी को ब्रेड बन के बीच डाल दिया जाता है. महाराष्ट्र में वड़ा पाव खाने का क्रेज कुछ अलग ही है. फिलहाल, यह ट्रेंड दिल्ली पर भी हावी होता हुआ दिख रहा है और लोग इस वड़ा पाव को काफी पसंद कर रहे हैं. इंदौर की रहने वाली चंद्रिका ने एक ठेला खोला और फिर उनकी दुकान तेज रफ्तार में चल पड़ी. हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में एक बिल्कुल अलग सीन देखने को मिल, जब चंद्रिका गेरा दीक्षित रोती हुई नजर आईं.
वड़ा पाव वाली लड़की फूट-फूटकर रोई
चंद्रिका फोन पर रोते हुए कह रहीं थीं कि पुलिस वाले और MCD वाले मुझे बहुत परेशान कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे उन्हें लगातार परेशान कर रहे हैं, उनकी रेहड़ी बंद करवाने की धमकी दे रहे हैं और उनसे ज्यादा से ज्यादा पैसे मांग रहे हैं. मीडिया में छपी खबर के मुताबिक, वह ऐसा क्यों कर रहे हैं यह साफ नहीं है, लेकिन चंद्रिका का कहना है कि वे सिर्फ पैसे चाहते हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने उन्हें लगभग 30,000 रुपये से 35,000 रुपये तक दिए थे. अपनी परेशानी के बीच में, वो बार-बार कह रहीं थीं, यह सब पैसों का खेल है.
'एमसीडी वाले परेशान कर रहे हैं'
इसके बाद चंद्रिका अपने कस्टमर्स से बात करने लगीं. उन्होंने उन्हें बताया कि MCD वाले उन्हें परेशान कर रहे हैं. उन्होंने अपने भाई को फोन किया कि जल्दी आएं क्योंकि MCD वाले उनकी रेहड़ी बंद करवाने की धमकी दे रहे हैं. यह बताने के बाद चंद्रिका दीक्षित ने ग्राहकों से पूछा कि "क्या मैं गलत हूं?" बहुत से लोगों ने उनका साथ दिया और कहा कि "रोजी रोटी कमाना कोई गलत बात नहीं है." उनकी मदद के लिए कई खाने के बारे में लिखने वाले भी आगे आए.
वीडियो के कमेंट में लोगों ने दी ऐसी राय
बहुत से लोगों ने चंद्रिका दीक्षित को सलाह दी और उनकी परेशानी को समझा. कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें MCD से परमीशन ले लेनी चाहिए ताकि उन्हें आगे दिक्कत न हो. एक यूज़र ने कहा कि "ये महिला या पुरुष होने की बात नहीं है, बल्कि MCD के नियमों की बात है. दरअसल ये खाने की रेहड़ी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मानी जाती हैं. साथ ही, अगर इन रेहड़ियों को इजाजत दे दी जाती है, तो दूसरों को दुकान खरीदकर लाइसेंस क्यों लेना पड़े? कई तरह के लाइसेंस लेने पड़ते हैं और वो बहुत महंगे भी होते हैं. तो जाहिर सी बात है, रेहड़ियों को क्यों इजाजत दी जाए?"