10वीं पास अंकल ने कूड़ा-कबाड़ से बना डाला किसानों के लिए धाकड़ डिवाइस, इंजीनियर्स कर रहे सैल्यूट
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10वीं पास अंकल ने कूड़ा-कबाड़ से बना डाला किसानों के लिए धाकड़ डिवाइस, इंजीनियर्स कर रहे सैल्यूट

Desi jugaad : यूपी के गोंडा जिले के कर्नलगंज तहसील स्थित पास्का गांव के निवासी राजकुमार मिश्रा ने अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एक अनोखी पहल की है. 10वीं पास राजकुमार ने कचरे से एक चावल पॉलिशिंग मशीन बनाई.

 

10वीं पास अंकल ने कूड़ा-कबाड़ से बना डाला किसानों के लिए धाकड़ डिवाइस, इंजीनियर्स कर रहे सैल्यूट

Desi jugaad: यूपी के गोंडा जिले के कर्नलगंज तहसील स्थित पास्का गांव के निवासी राजकुमार मिश्रा ने अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एक अनोखी पहल की है. 10वीं पास राजकुमार ने कचरे से एक चावल पॉलिशिंग मशीन बनाई, जो न केवल चावल की गुणवत्ता में सुधार करती है बल्कि कई लोगों के लिए रोजगार का भी एक नया रास्ता खोलती है.

कचरे से बने पॉलिशिंग मशीन ने बदली जिंदगी

राजकुमार के पास चावल पॉलिशिंग मशीन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. बाजार में उपलब्ध एक ऐसी मशीन की कीमत लगभग 3 से 3.5 लाख रुपये थी, और उसे चलाने के लिए ट्रैक्टर की कीमत 10-11 लाख रुपये थी. इस भारी खर्च को देखते हुए राजकुमार ने पुराने मार्शल वाहन का उपयोग करके एक सस्ती और किफायती पॉलिशिंग मशीन बनाने का विचार किया. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने यह मशीन केवल 1.5 लाख रुपये में बनाई, जबकि बाजार में इस तरह की मशीन 10 लाख रुपये तक की होती है."

रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए

राजकुमार की यह मशीन बाजार में उपलब्ध अन्य मशीनों से कहीं सस्ती और अधिक किफायती है. जहां बाजार की मशीनें 6-7 लीटर डीजल में 8-10 क्विंटल धान की पॉलिशिंग करती हैं, वहीं राजकुमार की मशीन सिर्फ 3-4 लीटर डीजल में 10-12 क्विंटल धान पॉलिश कर सकती है. इसका मतलब है कि राजकुमार की मशीन का माइलेज भी बहुत अच्छा है.

इस मशीन को बनाने के बाद राजकुमार ने इसके लिए पेटेंट भी आवेदन किया है और यह अब उनके परिवार के लिए स्थायी रोजगार का एक स्रोत बन चुका है. उनकी इस तकनीकी पहल के लिए उन्हें लखनऊ में विज्ञान मंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से सम्मान भी मिल चुका है. राजकुमार ने बताया कि पहले उनके पास एक पेडी थ्रेसिंग मशीन थी, लेकिन जब ट्रैक्टर से जुड़ी हुई पेडी थ्रेसिंग मशीनों का चलन बढ़ा और लोग इन्हें किसानों के घर तक ले जाकर धान की कटाई करने लगे, तब उनका घरेलू व्यवसाय घटने लगा.

सभी किसानों के लिए सुलभ

इस स्थिति से निराश होने के बजाय उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ नया किया जाए और एक सस्ती मशीन बनाई जाए, जो सभी किसानों के लिए सुलभ हो. आज के समय में राजकुमार के पास तीन ऐसी मशीनें हैं, जिनका इस्तेमाल वह न केवल अपने गांव में बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी करते हैं. उनकी इस पहल से न केवल उन्हें आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि कई अन्य लोग भी उनके साथ काम करके रोजगार कमा रहे हैं.

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