Hing manufacturing process: ज्यादातर लोगों के घरों में खाने का जायका बढ़ाने के लिए हींग का तड़का लगाया जाता है. इस अनोखे मसाले के इस्तेमाल से खाने का स्वाद बदल जाता है. इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा के तौर पर भी किया जाता है. अब जान लीजिए आखिर हींग बनती कैसे हैं.
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Benefits of Hing: देश के ज्यादातर किचन में हींग का इस्तेमाल आम बात है. इसका यूज खाने में तड़का लगाने के लिए किया जाता है जिसकी वजह से खाने का स्वाद बढ़ जाता है. हींग एक खूशबूदार मसाला है जिसकी खूशबू से खाना स्वादिष्ट हो जाता है. आपको बता दें कि हींग की खेती ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान में की जाती है. इसका पौधा देखने में सरसों के पौधे की तरह होता है और इसमें हरे-पीले रंग के फूल होते हैं. हींग का पौधा करीब 1 मीटर तक ऊंचा हो सकता है. इसकी दिलचस्प बात यह है कि हींग को फूलों से नहीं बल्कि पौधे की जड़ों से प्राप्त किया जाता है.
हींग बनाने की विधि
पौधे से हींग प्राप्त करने की विधि थोड़ी जटिल है. सबसे पहले पौधे के जड़ों में एक चीरा लगाया जाता है जिससे चिपचिपा पदार्थ बाहर निकलता है. इस चिपचिपे तरल पदार्थ को एक जगह पर इकट्ठा कर लिया जाता है. इसके बाद इसमें चावल के आटे को मिक्स किया जाता है. चावल के आटे को अच्छे से मिक्स करने के बाद इसे लंबे समय तक धूप में सुखाया जाता है. जब यह मिश्रण पूरी तरह सूख जाता है. तब एक बार फिर से इसमें चावल का आटा मिलाया जाता है, हालांकि यह चावल का आटा बहुत बारीक पिसा हुआ होता है और इस तरह आपके घरों में आने वाला हींग तैयार किया जाता है.
हींग के फायदे
हींग का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर भी किया जाता है. पेट दर्द के दौरान बच्चों को हींग का पानी दिया जाता है. इससे पेट दर्द ठीक हो जाता है. हींग को बारीक पीसकर इसे नाभि के पास लगाने से पाचन की समस्या दूर होती है. अनिद्रा, चिंता और सिरदर्द में हींग पेन किलर की तरह काम करता है. सरसों के तेल के साथ इनका पाउडर मिक्स करके पेट पर रगड़ने से पेट फूलने की समस्या दूर हो जाती है.
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