IAS Success Story: कभी कबाड़ी वाला बनना चाहता था ये शख्स, किस्मत बदली और यूं बन गया IAS ऑफिसर
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IAS Success Story: कभी कबाड़ी वाला बनना चाहता था ये शख्स, किस्मत बदली और यूं बन गया IAS ऑफिसर

IAS Success Story: सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना बेहद ही आवश्यक है और उसके अलावा कुछ और रास्ता हो भी नहीं सकता. कुछ ऐसा ही उत्तराखंड के रहने वाले एक शख्स ने कर दिखाया है.

 

IAS Success Story: कभी कबाड़ी वाला बनना चाहता था ये शख्स, किस्मत बदली और यूं बन गया IAS ऑफिसर

IAS Success Story: कहते हैं कि मेहनत और लगन से आप किसी भी ऊंचाई को पा सकते हैं, लेकिन आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र होना पड़ेगा. सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना बेहद ही आवश्यक है और उसके अलावा कुछ और रास्ता हो भी नहीं सकता. कुछ ऐसा ही उत्तराखंड के रहने वाले एक शख्स ने कर दिखाया है. आईएएस ऑफिसर दीपक रावत अक्सर अपने कामों के लिए सुर्खियों में रहते हैं. वह अपने ट्विटर अकाउंट पर भी काफी एक्टिव रहते हैं. सोशल मीडिया पर उनकी हजारों फैन फॉलोइंग है. इतना ही नहीं, यूट्यूब पर फील्ड विजिटिंग की भी चर्चा रहती है.

कबाड़ी वाला बनना चाहते थे दीपक रावत!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएएस बनने से पहले वह पढ़ाई में कमजोर थे और वह एक स्क्रैप डीलर यानी कबाड़ी वाला बनना चाहते थे. ये बात उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में कही है. यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू में दीपक रावत ने बताया कि बचपन में टूथपेस्ट के पैकेट, खाली डिब्बे, टूटे-फूटे सामान लेकर आता था और घर के बाहर दुकान लगाता था. लोग मुझसे पूछते थे कि बड़े होकर क्या बनना चाहते हो तो मैंने बताया कि कबाड़ी वाला बनना चाहता हूं क्योंकि मुझे रोज अलग-अलग तरह की चीजें देखने को मिलती थीं.

सक्सेज मिलने के बाद कुछ इस तरह इंटरनेट पर छाए

दीपक रावत ने यह भी कहा कि यह पेशा बड़ा अट्रैक्टिव है और इसमें रोज नई-नई चीजें मिलती हैं. आप जगह-जगह जा सकते हो और एक्सप्लोर कर सकते हो. मैं इसको आज भी मिस करता हूं और मैं अंदर से वैसा ही हूं.

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कौन हैं IAS दीपक रावत?

उत्तराखंड के मसूरी के रहने वाले दीपक रावत का जन्म सन् 1977 को हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मसूरी से की, इसके बाद उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए दिल्ली की तरफ रुख किया. दीपक रावत ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की और साथ ही UPSC की तैयारी में जुट गए. हालांकि, पहले दो अटेम्पट में असफल होने के बाद तीसरे प्रयास में सफलता अर्जित की. अब वह उत्तराखंड के हरिद्वार में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्यरत हैं.

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