Weird train in Pakistan: अपने देश में पहली पैसेंजर ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को चली थी. ये ट्रेन मुंबई के बोरी बंदर से ठाणे के लिए चलाई गई थी. लेकिन आज आपको बताते हैं भारतीय रेलवे (Indian Railways) के गौरवशाली इतिहास की उस कहानी के बारे में जिससे बहुत से लोग अब भी अनजान होंगे.
Trending Photos
Pakistan Railways Faisalabad’s horse tram: पाकिस्तान में बिजली का जबरदस्त संकट है. इसी तरह डीजल-पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं. रिजर्व तेल भी कम ही बचा है. ऐसे में रोड ट्रांसपोर्ट हो पाकिस्तान रेलवे सब पर कुछ न कुछ असर जरूर पड़ा है. दरअसल हालात ऐसे हैं कि कई महीनों से पाकिस्तानी टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां धूल फांक रही हैं, पैसे की तंगी से रुटीन मिलिट्री एक्सरसाइज स्थगित हैं. मिलिट्री गाड़ियां जहां की तहां यानी जस की तस खड़ी हैं. हालात न सुधरे तो फौज की तमाम गाड़ियां कबाड़ बन सकती हैं. ऐसे जटिल हालातों के इतर पाकिस्तान की एक ट्रेन का वीडियो वायरल हो रहा है.
बुचियाना और गंगापुर के बीच चलती थी ये ट्रेन
यहां बात पाकिस्तान में चलने वाली घोड़ा ट्रेन (Horse Train Pakistan) की जिसे कोई इंजन नहीं बल्कि घोड़ा खींचता था. PAK में चलने वाली इस घोड़ा ट्रेन की शुरुआत साल 1903 में हुई थी. इस ट्रेन और उसके नेटवर्क को आधुनिक लाहौर के जनक और समाजसेवी इंजीनियर सर गंगा राम ने अपने गांव फैसलाबाद से शुरू किया था. उन्होंने उस दौर में अपने गांव में ऐसा रेलवे ट्रैक बिछवाया था, जिसके ऊपर ये ट्राम चला करती थी. जिसे घोड़े खींचते थे. ये कथित हॉर्स ट्रेन बुचियाना और गंगापुर नाम के स्टेशनों को जोड़ती थी.
भारतीय रेलवे का अनसुना किस्सा
भारतीय रेलवे के इतिहास का ये वो पन्ना है, जिसका जिक्र किए बगैर उसकी कहानी अधूरी रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि राय बहादुर सर गंगाराम अविभाजित भारत के एक मशहूर सिविल इंजिनियर, उद्यमी और साहित्यकार थे. लाहौर के शहरी तानेबाने में उनके व्यापक योगदान देखते हुए उन्हें 'आधुनिक लाहौर का जनक' कहा जाता था. वो बहुत बड़े धर्मात्मा और दानी थे. उनका जन्म 1851 में आज के अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था.
सरकार ने दिया था इनाम
सर गंगाराम को उनकी समझ और दानवीरता की वजह से तत्कालीन सरकार ने कई एकड़ जमीन दी थी. उन्होंने उस इलाके का विकास करने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के मकसद से बहुत काम किया. उन्होंने खेती-बाड़ी में नए-नए प्रयोग किए. उन्होंने खेती के लिए आधुनिक मशीनों के इस्तेमाल पर जोर दिया. उस दौर में लोगों को यहां से वहां ले जाना हो या भारी भरकम मशीनों को लाने के लिए उन्होंने घोड़ों से चलने वाली ट्रेन का कंसेप्ट बनाया जो कामयाब रहा.
ये घोड़ा ट्रेन उनके गांव को बुचियाना रेलवे स्टेशन से जोड़ती थी जो वहां से करीब 3 Km दूर था. ये स्पेशल ट्रेन 1980 तक चली. आगे देखरेख न होने पर ये सेवा बंद हो गई. कई सालों बाद स्थानीय प्रशासन ने अपनी विरासत से जुड़ी इस ट्रेन को फिर से चलाने की कोशिश की. लेकिन फंड की कमी और सरकार की रुचि खत्म होने की वजह से इसका संचालन फिर बंद हो गया.
आप भी देखिए कैसे दौड़ती थी ये असली हॉर्स पावर से दौड़ने वाली ट्रेन -
@sreeni453 नाम के एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर ने लिखा- एक सदी पहले सेठ गंगाराम अग्रवाल द्वारा शुरू की गई हॉर्स ट्रेन का पाकिस्तान के पंजाब से नाता है. भारत में लंबे समय से कई रूटों पर वंदे भारत ट्रेनें पूरी शान से चल रही हैं, वाकई विकास में बहुत समय लगता है.
100 years ago, the horse-drawn train started by Seth Gangaram Aggarwal is still running in the Punjab region of Pakistan. Modi Ji started Vande Bharat Trains recently and claiming great. Development takes time. pic.twitter.com/UU6M82RDJD
— Kuppachi Sreenivas (@sreeni453) October 11, 2023
अब इसी वीडियो पर लोगों की तमाम अजब-गजब प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.