घर में बनी रहे खुशियां, लोगों ने किया अनोखा प्रयोग, सास-बहू का कराया सम्मेलन
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घर में बनी रहे खुशियां, लोगों ने किया अनोखा प्रयोग, सास-बहू का कराया सम्मेलन

कड़वा पाटीदार समाज द्वारा पहली बार सास-बहू में दूरियां खत्म करने के लिए सास-बहू सम्मलेन का आयोजन किया गया. 

घर में बनी रहे खुशियां, लोगों ने किया अनोखा प्रयोग, सास-बहू का कराया सम्मेलन

मेहसाणा: मेहसाणा के उंझा में 84 कड़वा पाटीदार समाज द्वारा एक अनोखे सम्मलेन का आयोजन किया गया. कड़वा पाटीदार समाज द्वारा पहली बार सास-बहू में दूरियां खत्म करने के लिए सास-बहू सम्मलेन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन का खास उद्देश्य यह था की सास-बहू में जनरेशन गैप होने की वजह से आपस में खटपट होती रहती है. जिसे किस तरह दूर किया जाये और सास-बहू के बीच की तल्खियां खत्म हो और आपस में दोनों में प्रेम भावना बढे इस भावना से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था.

इस सास-बहू सम्मेलन में मेहसाणा लोकसभा सांसद शारदाबेन पटेल सहित उंझा के स्थानीय विधायक भी उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाटीदार समाज की महिलाओ ने भाग लिया कई मोटिवेशन स्पीकरों द्वारा सास-बहु के सम्बन्धो को प्रेरणा देने वाली बातें बताकर घर को मंदिर कैसे बना सकती है सास और बहू उनके विचार बताए गए.

इस कार्यक्रम करने वाली समाज की अग्रणी महिला को जब इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य पूछा गया तो उन्होंने बताया की यह सम्मलेन पाटीदार समाज द्वारा पहली बार किया गया है. हमारे समाज में कई सम्मलेन करते है जैसे माँ-बेटी ,पिता-पुत्र सम्मलेन होते है तब हमें लगा की हम सब कार्यक्रम करते है क्यों न सास-बहु को एक मंडप के नीचे  लाया जाये.

जब समाज और बहार भी यह बात कही जाती है की सास-बहू का सम्बन्ध काफी कड़वाहट से भरा होता है तब यह सम्बन्ध मीठा किस तरह से बने और घर -घर में मंदिर जैसा वातावरण बने उसके लिए यह नया प्रयोग करने का विचार आया. इस विचार को लेकर हम उंझा की विधायक आशाबेन के पास गए और उनके सामने यह बात रखी. आशा बहन ने इस तुरंत ही हमारी इस बात को स्वीकार किया और कहा  की काफी सुन्दर प्रयोग है इसकी शुरुवात उंझा से ही करते है.

हमने यह कार्यक्रम रखा. आयोजनको ने आगे बताते हुए कहा की इस कार्यक्रम के बाद सास-बहु का सम्बन्ध कितना भी ख़राब क्यों न रहा हो ,कार्यक्रम के बाद दोनों हाथ पकड़कर निकल रही है. वही स्थानीय विधायक आशाबेन ने बताया की यहाँ पाटीदार समाज द्वारा हर घर स्वर्ग बने हर घर मंदिर बने इसके लिए यह नया प्रयोग किया गया. इस कार्यक्रम का खास मकसद यह भी रहा की किसी भी सास को बुढ़ापे में वृद्धाश्रम नहीं जाना पड़े ,जो बहुये है वो बेटी की तरह अपनी साँस की सेवा करे यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य था.

खासकर जब एक बहु और सास में लड़ाई होती है तो पतियो की सेंडविच बन जाती है. कई बार सास-बहु के झगडे की वजह से मामला तलाक तक पहुंच जाता था. उसकी जागरूकता के लिए इस कार्यक्रम का आयजन किया गया था इस कार्यक्रम में मोटिवेशनल लोगो द्वारा कई मोटिवेशनल विचार रखे गए और इन महिलाओ को कई बाते उदहारण के साथ बताई गयी इस कार्यक्रम में पहुंची तीन हजार बहनो यानि की 1500 घर आज मंदिर बाने की शपथ लेकर निकले है.

इस कार्यक्रम की वजह से महिलाओं में काफी जागरूकता आयी है और यह जरुरी थी.वही कार्यक्रम में आयी महिलाओ ने भी कहा की सास-और बहु में जनरेशन गेप की वजह से काफी मिस अंडरस्टेंडिंग होती थी.

बहु आज के ज़माने की होने की वजह से इस ज़माने के हिसाब से जीना चाहती है और उसे लगता है की सास उसका विरोध करती है. लेकिन इस कार्यक्रम की वजह से सभी सास और बहुओ में होने वाली मिस अंडरस्टेंडिंग दूर होगी और अब घर वाकई एक मंदिर बनते नजर आएगा   

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