England Viral News: इंग्लैंड के चेस्टर क्राउन कोर्ट में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने अपनी मां बनने की जिम्मेदारी से भागते हुए अपनी बेटी को तीन साल तक दराज में छिपाकर रखी.
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England Viral News: इंग्लैंड के चेस्टर क्राउन कोर्ट में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने अपनी मां बनने की जिम्मेदारी से भागते हुए अपनी बेटी को तीन साल तक दराज में छिपाकर रखा. यह घटना यूके के चेशायर इलाके की है, जहां एक महिला ने अपने बॉयफ्रेंड और परिवार से अपने बच्चे को तीन साल तक छुपाकर रखा. महिला ने बच्चे को अपने दीवान बिस्तर के दराज में छिपा दिया था और उसे उचित देखभाल, प्यार और स्नेह से वंचित रखा.
तीन साल तक बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी
जब बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो उसकी हालत बहुत ही खराब थी. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा अत्यधिक कुपोषित था और उसकी शारीरिक स्थिति में गंभीर कमी थी. उसकी मानसिक स्थिति भी उतनी ही नाजुक थी, क्योंकि वह इतने लंबे समय से बिना देखभाल के रह रहा था. इस घिनौने हरकत को छुपाने के लिए महिला ने अपनी पूरी कोशिश की, यहां तक कि उसके बॉयफ्रेंड को भी इस बारे में कुछ नहीं पता चला. महिला का बॉयफ्रेंड तीन साल तक घर आता-जाता रहा, लेकिन उसे इस बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
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खोजबीन करने पर बच्चे का पता चला
महिला का बॉयफ्रेंड जब घर में रहने लगा, तो उसने एक दिन बाथरूम में बच्चे की आवाज सुनी और खोजबीन करने पर बच्चे का पता चला. इसके बाद उसने सामाजिक कार्यकर्ताओं को सूचित किया, जिन्होंने बच्चे को अपने कब्जे में ले लिया और पुलिस को बुलाया. जब इस घटना की जानकारी पुलिस को मिली, तो यह सभी के लिए एक शॉक था. पुलिसवालों ने बताया कि यह एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना है, और ऐसे मामलों को सुनकर उनकी आत्मा भी हिल जाती है. यह घटना केवल एक बच्चे के साथ की गई क्रूरता नहीं थी, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी थी कि हमें बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को लेकर कहीं ज्यादा गंभीर और सतर्क रहना होगा.
महिला को हुई सात साल की सजा
मामला कोर्ट तक पहुंचा और महिला को इस अमानवीय कृत्य का दोषी ठहराया गया. चेस्टर क्राउन कोर्ट के जज स्टीवन एवरेट ने कहा, "आपने जो किया वह पूरी तरह से अविश्वसनीय है. आपने बच्चे को प्यार, स्नेह, और किसी भी उचित ध्यान से वंचित रखा. यह न केवल भयावह था, बल्कि पूरी तरह से अमानवीय था." कोर्ट ने महिला को सात साल की सजा सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि बच्चों के खिलाफ किए गए इस प्रकार के अत्याचार को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.