आज के समय में जब मुगलों के समय की चीजों के बारे में सोचते हैं हैरानी होती है. जबकि उस समय मुगल बादशाहों के लिए इस तरह की घटनाएं बेहद आम हुआ करती थी. किसी को जमीन गाड़ देना और किसी का अंगूठा कटवा देने जैसी सजाएं तो मुगलों के लिए बहुत आम होती थी. आज हम आपको इसी तरह घटना बताने जा रहे हैं.
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Mughal Emperor: मुगलों को लेकर हिंदुस्तान में कई तरह की कहानियां आम हैं. उनकी तरफ से की जाने वाली कई ऐसी चीजें, जिन्हें आज कम समय में जानकर कोई भी हैरान रह जाता है. आज हम आपको एक ऐसे ही मुगल बादशाह के बारे में बताएंगे, जिसकी अनगिनत कहानियां चर्चा का मौजू बनी रहती हैं. दरअसल मुगलों के समय दी जाने वाली कुछ सजाओं के बारे में जब आज हम सुनते हैं तो काफी हैरानी होती है और इसी तरह की सजाओं के लिए मुगल बादशाह जहांगीर मशहूर था. उसको लेकर कहा जाता है कि वो लोगों को अंगूठे भी कटवा दिया करता था.
जहांगीर मुगल सल्तनत का चौथा बादशाह था. जिसने साल 1605 में मुगल साम्राज्य की गद्दी संभाली थी. जहांगीर को मुगल काल का सबसे क्रूर बादशाह माना जाता था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपने बेटे की आंख फुड़वा दी थी. कुछ लोग तो जहांगीर को मूडी किस्म का बादशाह बताया है. एक खबर के मुताबिक एलिसन बैंक्स फिडली ने अपनी किताब 'नूरजहां: एंप्रेस ऑफ मुगल इंडिया' में लिखती हैं कि जहांगीर मुगल बादशारों में सबसे ज्यादा मूडी था. यहां तक कि लोग उसे सनकी भी कहा करते थे.
इसी किताब के हवाले से कहा गया कि एक बार जहांगीर ने बहुत छोटी सी बात पर अपने नौकर का अंगूठा कटवा दिया था. फिडली ने लिखा,'जहांगीर के नौकर ने नदी किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ों को काट दिया था. जिसके बाद उसने उस नौकर का अंगूठा कटवा दिया था.' इसके अलावा एक कहानी यह भी है कि उसने नूरजहां की एक कनीज को किन्नर के साथ चुंबन करने की वजह से आधा जमीन में गड़वा दिया था. कहा जाता है कि जहांगीर अपने दरबार में आने वाली समस्याओं का हल कुछ इसी तरह और सनकी भरे अंदाज में किया करता था.
जहांगीर का असली नाम 'नूरुद्दीन मुहम्मद सलिम' और मुग़ल साम्राज्य का चौथा सम्राट था. वह अकबर के बेटे और मुमताज़ महल के पिता था. उसकी पैदाइश 31 अगस्त 1569 को हुई थी. जहांगीर को अपने पिता अकबर की नीतियों को जारी रखने लिए पहचाना जाता है. इसके अलावा मुगल साम्राज्य ने कला, संस्कृति और स्थापत्य के क्षेत्र की तरक्की के लिए भी जाना जाता है. हालांकि उसके शासनकाल में कुछ राजनीतिक अस्थिरताएं और सैनिक विद्रोह भी हुए थे लेकिन कहा जाता है कि उसने प्रशासनिक सुधार और न्याय व्यवस्था को मजबूत किया.