मरीज के सांस लेते ही रोबोट सूंघकर बता देगा कि कौन सी है बीमारी! जान लें ये नई टेक्नोलॉजी
Advertisement
trendingNow12591627

मरीज के सांस लेते ही रोबोट सूंघकर बता देगा कि कौन सी है बीमारी! जान लें ये नई टेक्नोलॉजी

Trending News: नॉर्वे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे ‘एंट-नोस’ कहा जाता है. यह रोबोटिक नाक इंसान और कुत्तों की नाक से भी अधिक प्रभावी तरीके से बीमारियों का पता लगाने, खराब फल की पहचान करने और खतरनाक गैसों का पता लगाने में सक्षम है.

 

मरीज के सांस लेते ही रोबोट सूंघकर बता देगा कि कौन सी है बीमारी! जान लें ये नई टेक्नोलॉजी

Patient Breath: नॉर्वे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे ‘एंट-नोस’ कहा जाता है. यह रोबोटिक नाक इंसान और कुत्तों की नाक से भी अधिक प्रभावी तरीके से बीमारियों का पता लगाने, खराब फल की पहचान करने और खतरनाक गैसों का पता लगाने में सक्षम है. इस तकनीक की सटीकता 97% तक बताई जा रही है.

यह भी पढ़ें: खून के धब्बे कैसे मिटाएं, हड्डियों को कैसे गलाएं? ऐसे Video बनाकर बुरी तरह फंसी इंफ्लुएंसर

सस्ते और सुलभ तकनीक का उपयोग

यह नई तकनीक विशेष रूप से सस्ती और आसान है क्योंकि यह मौजूदा एंटेना तकनीक का उपयोग करती है, जो पहले ही हमारे फोन और टीवी में मौजूद है. प्रोफेसर माइकल चेफेना ने कहा, “हमारे चारों ओर ऐसी तकनीक है जो एंटेना के माध्यम से संवाद करती है, और अब इस तकनीक को एक नई दिशा में इस्तेमाल किया गया है." अभी तक मौजूद इलेक्ट्रॉनिक नाकों में सैकड़ों महंगे सेंसर होते हैं, जिन्हें विभिन्न सामग्री से कोट किया जाता है, लेकिन एंट-नोस केवल एक एंटेना पर आधारित है. यह रेडियो सिग्नल्स भेजकर विशिष्ट 'वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स' (VOCs) को पहचानता है, जो मरीजों की सांस में होते हैं और बीमारियों का संकेत देते हैं. 

कुत्तों की नाक से समान तकनीक

रिसर्च यू डांग का मानना है कि यह नई तकनीक बीमारियों के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद करेगी और इससे हजारों जानें बच सकती हैं. कुत्ते भी बीमारियों को सूंघ सकते हैं, लेकिन उन्हें प्रशिक्षित करना महंगा और टाइम-टेकिंग होता है. यू डांग का कहना है, “वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स कुत्तों को रक्त शर्करा में बदलाव और कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाने में मदद करते हैं, तो इस तकनीक का सिद्धांत भी काफी हद तक वही है.”

यह भी पढ़ें: नहाते वक्त क्या आपके भी मन में आते हैं ऐसे ख्याल? जरा जान लीजिए इसके पीछे का साइंस

जल्दी उपलब्ध होने की संभावना

प्रोफेसर चेफेना का कहना है कि यह तकनीक पहले से ही व्यापक रूप से उपलब्ध है, जिससे यह जल्दी ही अस्पतालों में उपयोग के लिए उपलब्ध हो सकती है. उन्होंने बताया, “अन्य इलेक्ट्रॉनिक नाकों में सैकड़ों सेंसर होते हैं, जिन्हें अलग-अलग कंटेंट से कोट किया जाता है. यह उन्हें बहुत अधिक ऊर्जा खपत करने वाला और महंगा बनाता है, जबकि एंट-नोस तकनीक केवल एक एंटेना का उपयोग करती है.”

यह खोज चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला सकती है, क्योंकि यह तकनीक न केवल सस्ती है, बल्कि इसके संचालन के लिए कम शक्ति की भी आवश्यकता होती है. अब इसे जल्दी ही अस्पतालों में रोगों की पहचान और इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह शोध 'सेंसर एंड एक्ट्यूएटर्स: बी. केमिकल' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, और इसके परिणामों को लेकर वैज्ञानिकों में उत्साह है.

Trending news