British India: हैरानी की बात यह है कि सर्टिफिकेट में एक भारतीय को ब्रिटिश अधिकारियों के इंतजार में बैठने की इजाजत दी गई थी. तब ‘कुर्सी नशीन’ नाम से यह सर्टिफिकेट जारी किया जाता था. इसको देखने के बाद लोग हैरत में पड़ गए.
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Permission Certificate To Indian: हाल के दिनों में पुराने बिल या सर्टिफिकेट कई बार सोशल मीडिया पर सामने आए. यह तरह-तरह के सर्टिफिकेट रहे. किसी में पुराने जमाने के बिल दिखाई दिए तो कभी बिजली का बिल दिखाई दिया. इसके बाद आज के दामों से उनकी तुलना होती रही. इसी बीच हाल में सोशल मीडिया पर एक अजीबोगरीब प्रमाणपत्र वायरल हुआ जो अंग्रेजों के जमाने में भारतीयों को दिया जाता था.
'जुल्म की एक और दास्तान का उदाहरण'
दरअसल, यह कोई ऐसा सर्टिफिकेट नहीं था जो किसी उपलब्धि के लिए दिया जाता था. यह सर्टिफिकेट अंग्रेजों द्वारा भारत पर की गई किए गए जुल्म की एक और दास्तान का उदाहरण भर है. इस सर्टिफिकेट को देख कर लग रहा है कि उस जमाने में अंग्रेज अधिकारियों के सामने बैठने पर भी भारतीयों को परमिशन लेनी पड़ती थी यह सर्टिफिकेट उसी का ही एक प्रमाण है.
ब्रिटिश अधिकारी की प्रतीक्षा में
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे शेयर किया है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्टिफिकेट आज की तारीख में पिछले साल उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आने वाले नेता राजा भैया ने शेयर किया था, जो एक बार फिर से शेयर हो रहा है. इसमें दिख रहा है कि तारीख 1887 की पड़ी हुई है. और यह सर्टिफिकेट उस शख्स को दिया गया था जिसने अंग्रेज अधिकारी के सामने बैठने के लिए परमिशन मांगी थी.
तारीख 1887 की पड़ी हुई
साल 1887 की जुलाई में दिल्ली जिले की ओर से यह प्रमाणपत्र शेद पार्षद के पुत्र राम नरसिम को जारी किया गया था. डेप्युटी कमिश्नर ने यह सर्टिफिकेट जारी किया था और बकायदा इस पर मुहर भी लगी थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजादी से पहले भारतीयों को ब्रिटिश अधिकारी की प्रतीक्षा में कुर्सी पर बैठने की अनुमति नहीं थी, जब तक कि उनके पास यह प्रमाण पत्र नहीं होता था.
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