मिरर यूके की रिपोर्ट के मुताबिक जॉडी और गेबे ने शराब के पैग लगाते हुए तय किया कि घूमते हुए ग्लोब पर वे जहां उंगली रखेंगे, वहां तक वे दौड़कर जाएंगे. उनकी इस शर्त ने उन्हें मध्य एशिया के ताजिकिस्तान (Tajikistan) में भेज दिया. वे अफगानिस्तान की सीमा से लगे चीन तक और तजाकिस्तान की बारटांग घाटी तक दौड़े, जिसे दुनिया के सबसे दूरस्थ और निर्जन क्षेत्रों में से एक माना जाता है.
जॉडी कहते हैं, 'मैं दौड़ने में बहुत अच्छा हूं, लेकिन शराब पीने में उससे भी ज्यादा बेहतर हूं. जब शराब के नशे में शर्त लगाई तो मुझे तजाकिस्तान के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन उस शर्त को पूरा करना मेरा जुनून बन गया था. इस दौड़ को शुरू करते वक्त हमारे पास एक नक्शा था और रास्ते को लेकर एक ऊपरी तौर की जानकारी थी. हमें लग रहा था कि वहां दिन गर्म और शुष्क होंगे. साथ ही रातें ठंडी होंगी.'
जॉडी कहते हैं, 'यह बहुत लंबा रास्ता था लेकिन हमें लगा कि हम इसे कर सकते हैं. हमें यह बहुत रोमांचक लगा. इस यात्रा में हमने बीमारी, चोटों, प्रकृति की बाधाओं, तेज गर्मी, वीजा अधिकारियों जैसे कई चुनौतियों का सामना किया. दुनिया की छत कहे जाने वाले पामीर के पठार को भी पार किया.'
ये तीनों दोस्त रोजाना एक मैराथन से भी ज्यादा दौड़े. 7 दिनों में वे अपनी यात्रा पूरी करके कुरकुल झील पर पहुंचे. जॉडी कहते हैं, 'यह दौड़ इसलिए अहम नहीं है कि हमने सबसे कम समय में फिनिश लाइन तक की दूरी तय की, बल्कि यह इस बारे में थी कि हम ऐसी जगह पर दौड़े जहां के बारे में हमने पहले सुना भी नहीं था.'
इस दौड़ के प्रमुख आयोजक जॉडी थे. जॉडी और गेबे को लगा कि दौड़ने के लिए एक और साथी होना चाहिए. तब उन्होंने अपनी दोस्त जॉडी गॉल्ड को फोन करके बुलाया. वह कहती हैं, 'गेबे ने मुझे फोन करके कहा कि क्या आप ताजिकिस्तान में 10 दिन दौड़ने के लिए हमारे साथ आना चाहती हैं. मैंने कहा हां ठीक हैं.'
इन 3 दोस्त की महायात्रा को सोर्सी फिल्म्स के एलेक्सिस टायमन और बेन क्रोक ने डॉक्यूमेंटेड किया है. उनकी फिल्म, रनिंग द रूफ को बैनफ माउंटेन फिल्म फेस्टिवल के हिस्से के रूप में दिखाया जा रहा है.
(सभी फोटो: मिरर यूके)
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