इसे इस तरह भी समझ सकते हैं महिला कोमा जैसी ही स्थिति है क्योंकि वेजिटेटिव स्टेट और कोमा में बस यही अंतर है कि वेजिटेटिव स्टेट में व्यक्ति होश में रहता है. वेजिटेटिव स्टेट में मरीज को यह भी पता नहीं चलता है कि उसके आसपास क्या हो रहा है. वह केवल जिंदा लाश की तरह ही होता है.
32 साल की सबीना अब्बास 4 साल से बहुत बुरी हालत में हॉस्पिटल में भर्ती है. उसकी ये हालत नोज जॉब और लाइपोसक्शन कराने के बाद हुई है. महिला सुंदर दिखना चाहती थी और इसके लिए उसने एक प्राइवेट क्लिनिक से ये दोनों प्रोसीजर कराए थे.
2017 में एक डॉक्टर ने उसका लाइपोसक्शन और राइनोप्लास्टी एक साथ की. इस दौरान 4 मिनट के लिए उसके दिल ने भी काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद क्लीनिक ने उसे एक हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया था. लाइपोसक्शन एक ऐसी सर्जरी है जिसमें शरीर के किसी हिस्से में जमा हुए फैट को हटाया जाता है. वहीं राइनोप्लास्टी नाक को मनचाहे आकार में ढालने के लिए की जाती है.
मिरर यूके की रिपोर्ट के मुताबिक ऑपरेशन के दौरान ही तुर्की के अंताल्या प्रांत की सबीना वेजिटेटिव स्टेट में भी चली गईं. तब से ही वे न कुछ सुन सकती हैं ना ही समझ या बोल सकती हैं. सबीना के पति अपनी पत्नी की ऐसी हालत के लिए क्लीनिक को जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्होंने क्लीनिक के प्लास्टिक सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है.
सबीना 2 बच्चों की मां हैं और उनके इस हालत में पहुंचने के बाद से उनके पति और बच्चों की जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है. रुस्तम कहते हैं, '4 सालों से हमारी जिंदगी नरक बन गई है. मेरे 6 और 4 साल के बच्चे अपनी मां के घर आने का इंतजार कर रहे हैं. अस्पताल मेरी पत्नी को छुट्टी देना चाहता है लेकिन मैं उसे ऐसी हालत में कैसे घर ले जाऊं. रुस्तम की क्लीनिक के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी है.'
(सभी फोटो: मिरर यूके)
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