नोएडा की 20 मंजिल वाली बिल्डिंग के बराबर है Elon Musk की स्टारशिप, जानें कैसे मिली सक्सेज
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नोएडा की 20 मंजिल वाली बिल्डिंग के बराबर है Elon Musk की स्टारशिप, जानें कैसे मिली सक्सेज

Starship Rocket: स्पेसएक्स ने एक बहुत ही खास उड़ान का परीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने स्टारशिप रॉकेट को बड़ी मशीनों से कैच कर लिया. यह स्पेसएक्स के नए रॉकेट स्टारशिप का पांचवां परीक्षण था. इस रॉकेट को चांद और मंगल पर जाने के लिए बनाया गया है. 

 

नोएडा की 20 मंजिल वाली बिल्डिंग के बराबर है Elon Musk की स्टारशिप, जानें कैसे मिली सक्सेज

Starship Rocket SpaceX Elon Musk: बीते रविवार को स्पेसएक्स ने एक बहुत ही खास उड़ान का परीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने स्टारशिप रॉकेट को बड़ी मशीनों से कैच कर लिया. यह स्पेसएक्स के नए रॉकेट स्टारशिप का पांचवां परीक्षण था. इस रॉकेट को चांद और मंगल पर जाने के लिए बनाया गया है. पहली बार रॉकेट के पहले हिस्से को पकड़ा गया जब वह वापस लौटा. ऐसा बताया जा रहा है कि यह हिस्सा 20 मंजिला इमारत जितना लंबा है. इसे कैच कर पाना एक बहुत बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धि है.

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कितनी हाइट तक गया था ये स्टारशिप रॉकेट

स्पेसएक्स के बोका चिका वेन्यू से रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा जिसे स्टारशिप के नाम से जाना जाता है. लगभग 70 किमी ऊंचाई पर अलग होने से पहले सुपर हैवी बूस्टर फिर वापस लैंड करने के लिए मुड़ गया. जैसे ही यह लॉन्च पैड के पास पहुंचा, इसने धीमा करने के लिए अपने 33 इंजनों में से तीन को फायर किया, उसी स्थान पर लक्ष्य रखा जहां से इसे पहले लॉन्च किया गया था. बूस्टर एक लॉन्च टावर पर उतरा जो स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी लंबा है, जिसमें इसे पकड़ने के लिए रॉकेट के ऊपरी हिस्से पर दो बड़ी धातु की भुजाएं हैं. रॉकेट धीरे-धीरे उसी जगह पर जाकर सेट हुआ जहां से इसे लॉन्च किया गया था. 

सफलता पर एलन मस्क ने क्या कहा?

स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर लिखकर सफलता की पुष्टि की, "टावर ने रॉकेट पकड़ लिया है!" स्पेसएक्स के नियंत्रण केंद्र से देख रहे इंजीनियरों ने जोर से चीयर किया क्योंकि बूस्टर को सुरक्षित रूप से कैच कर लिया गया था. बूस्टर को पकड़ने का यह तरीका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पेसएक्स की भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए पूरी तरह से रॉकेट बनाने की योजना में मदद करता है.

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किस स्पीड में गया था स्टारशिप?

स्टारशिप लगभग 17,000 मील प्रति घंटे की गति से अंतरिक्ष में गया और पृथ्वी से 89 मील की ऊंचाई तक पहुंच गया. यह पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पास हिंद महासागर में एक स्थान की ओर बढ़ा. अंतरिक्ष यान पर लगे कैमरों ने एक चमकदार गुलाबी रंग दिखाया क्योंकि स्टारशिप ने वातावरण में पुन: प्रवेश किया, जो अत्यंत गर्म प्लाज्मा से ढका था. इस परीक्षण का उद्देश्य जून में स्पेसएक्स के अंतिम प्रयास से समस्याओं पर सुधार करना था, जब शिप की गर्मी-संरक्षण वाली टाइलें क्षतिग्रस्त हो गई थीं.

 

 

रॉकेट का दूसरा हिस्सा समुद्र में गिर गया और फिर विस्फोट हो गया. यह स्पष्ट नहीं है कि यह जानबूझकर किया गया था या गलती से हुआ. इसके बावजूद स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने कहा कि यह बहुत अच्छा हुआ. स्पेसएक्स के कर्मचारियों ने भी खुशी मनाई. यह कामयाबी स्पेसएक्स के लक्ष्य के करीब ले जाती है. वे एक ऐसा रॉकेट बनाना चाहते हैं जो चंद्रमा और मंगल पर जा सके. अमेरिका की एक संस्था FAA ने इस परीक्षण के लिए स्पेसएक्स को अनुमति दी. इससे पहले, इसमें बहुत देरी हुई थी और इसकी अनुमति नहीं दी थी.

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