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Success Story: कुछ किस्से ऐसे होते हैं जिनके बारे में जानकर लोगों के चेहरे भौचक्के रह जाते हैं. मेहनत करने वालों की कभी भी हार नहीं होती और अगर उसे निरंतर किया जाए तो सफलता जरूर आपके कदम चूमेगी. कुछ ऐसा ही उदाहरण दो भाइयों ने मिलकर दिया. एकुम्स ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स के फाउंडर संजीव और संदीप जैन ने अपने जिंदगी के अनुभवों को एक प्रेरक कहानी के जरिए शेयर किया है. दिल्ली के चांदनी चौंक स्थित भगीरथ पैलेस मार्केट में 55 वर्ग फुट के एक छोटे से फार्मेसी से संजीव ने अपने करियर की शुरुआत की थी. अब उनके पास ₹4,212 करोड़ का फार्मास्युटिकल साम्राज्य है.
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एक छोटे से फार्मेसी से ग्लोबल सक्सेस तक
1984 में, जब संजीव और संदीप जैन के पास सीमित संसाधन थे, लेकिन एक बड़ा सपना था, तो उन्होंने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में कदम रखा. उनके अंकल दवाइयों के थोक वितरण में काम करते थे, उन्होंने उन्हें इस दिशा में प्रेरित किया. शुरुआत में दिल्ली के पुराने शहर में एक छोटी सी थोक दवाई की दुकान खोलने के बाद उन्होंने देखा कि मौसमी बिमारियों जैसे मलेरिया के दौरान दवाइयों की भारी कमी होती है. इस समस्या को हल करने के लिए उन्होंने अपनी खुद की दवा निर्माण फैक्ट्री स्थापित करने का विचार किया.
कैसे शुरू की थी अपनी पहली फैक्ट्री?
उनकी पहली फैक्ट्री उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित सिद्धकुल में स्थापित की गई थी, जहां बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली और टेलीफोन लाइन तक नहीं थीं. इसके बावजूद भाइयों ने अपनी दृढ़ता और दृष्टि से इन बाधाओं को पार किया. उन्होंने अपने ₹1.17 करोड़ की बचत का निवेश किया, जिसमें अपनी जमीन को गिरवी रखकर कार्यशील पूंजी जुटाई. इस साहसिक कदम ने उनके भविष्य की सफलता की नींव रखी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पढ़ाई में संजीव जैन 12वीं पास और संदीप जैन फर्स्ट ईयर कॉलेज ड्रॉप हैं.
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सपना बड़ा, लेकिन लक्ष्य था ₹19 करोड़
उनकी प्रारंभिक योजना काफी मामूली थी—कंपनी का लक्ष्य ₹19 करोड़ था, जो उन्होंने सोचा था कि प्राप्त करना मुश्किल नहीं होगा. उन्होंने पहले साल में ₹195 करोड़ का ऑर्डर पूरा किया, जो उनके शुरुआती टारगेट से दस गुना अधिक था. इस ऑर्डर ने एकुम्स को एक नई दिशा दी और कंपनी ने तेजी से विस्तार करना शुरू किया.
एक से 15 फैक्ट्रियों तक का सफर
इसके बाद एकुम्स ने आक्रामक तरीके से विस्तार किया, और एक फैक्ट्री से बढ़कर अब 15 फैक्ट्रियां स्थापित कीं, जो टैबलेट्स, कैप्सूल्स, इंजेक्शंस और मलहम जैसी विभिन्न दवाइयां बनाती हैं. आज, एकुम्स 1,500 से अधिक क्लाइंट्स को सर्विस दे रहा है, जिनमें सिप्ला, सन फार्मा, जाइडस कैडिला और डॉ. रेड्डीज जैसी कंपनियां शामिल हैं. भारत में एकुम्स अब सबसे बड़ा CDMO बन चुका है, जिसकी 30% बाजार हिस्सेदारी है. ग्लोबल लेवल पर, एकुम्स दुनिया के दूसरे सबसे बड़े CDMO के रूप में स्थापित हो चुका है, जो एक असाधारण उपलब्धि है.
सफलता की कहानी: छोटा लक्ष्य, बड़ा सपना
वर्तमान में एकुम्स के पास 16,000 कर्मचारी हैं. चांदनी चौक के भगीरथ पैलेस में एक छोटे से 55 वर्ग फुट के फार्मेसी से लेकर ₹4,212 करोड़ के वैश्विक CDMO बनने तक की यात्रा जैन भाइयों की दूरदृष्टि और मेहनत का परिणाम है. उनका सपना छोटा था, लेकिन उनके साहसिक फैसलों और जोखिमों ने उन्हें इस ऊंचाई तक पहुंचाया.