एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ से बुलेट; नवरात्रि में औरतों ने अनोखे तरीके से खेला 'गरबा'
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एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ से बुलेट; नवरात्रि में औरतों ने अनोखे तरीके से खेला 'गरबा'

Trending News: गुजरात के राजकोट में बीते मंगलवार को नवरात्रि (Navratri) उत्सव के तीसरे दिन महिलाओं ने राजवी महल में दोपहिया वाहनों पर तलवारें लहराते हुए 'गरबा' खेला. उन महिलाओं का उत्साह देखने लायक था.

 

एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ से बुलेट; नवरात्रि में औरतों ने अनोखे तरीके से खेला 'गरबा'

Garba Dance In Navratri: गुजरात के राजकोट में बीते मंगलवार को नवरात्रि (Navratri) उत्सव के तीसरे दिन महिलाओं ने राजवी महल में दोपहिया वाहनों पर तलवारें लहराते हुए 'गरबा' खेला. उन महिलाओं का उत्साह देखने लायक था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'तलवार रास' या 'तलवार चलाना' गुजरात की एक पारंपरिक संस्कृति है जहां पारंपरिक 'राजपूताना' पोशाक में महिलाएं देवी दुर्गा का सम्मान करने के लिए अनोखा गरबा करती हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन, भक्त देवी चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, जो देवी महागौरी का विवाहित रूप है. 'चंद्र-घंटा' के नाम से मशहूर, उनका नाम घंटी के आकार के आधे चंद्रमा का प्रतीक है.

बुलेट पर करतब दिखाने लगी महिला

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो में देख सकते हैं कि राजकोट में मौजूद महिलाएं अलग-अलग गाड़ियों पर आती हैं और एक हाथ में तलवार लेकर करतब दिखलाती हैं. सबसे पहले एक महिला बुलेट चलाती हुए आती है और फिर वह अपने हाथों में तलवार लेकर घुमाती है. इसके बाद एक अन्य महिला जीप लेकर आती है और फिर दूसरे हाथ में तलवार को लहराती है. कुछ ही देर बाद कई सारी स्कूटी साथ में आती हैं और पीछे एक अन्य महिलाएं खड़ी होकर तलवार घुमाती रहती हैं. यह देखकर आप सभी को हैरानी हुई होगी. सोशल मीडिया पर यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है. 

 

 

क्या है 'तलवार रास'

गुजरात की लोक परंपराओं के विद्वानों के अनुसार, तलवार रास उन राजपूत युद्ध नायकों की याद में बनाया गया था जो भूचर मोरी के ऐतिहासिक युद्ध (18 जुलाई, 1591) में मारे गए थे. यह गुजरात में किया जाने वाला एकमात्र रास नहीं है. कृषक समुदाय, योद्धा समुदाय, समुद्री समुदाय और यहां तक कि मुस्लिम मालधारी समुदाय सहित विभिन्न समुदायों द्वारा लगभग छह प्रकार के रास का प्रदर्शन किया जाता है. रास का वर्णन विभिन्न पुराणों जैसे हरिवंश पुराण, विष्णु पुराण और भगवत पुराण में भी मिलता है. इसमें आम तौर पर एक निर्धारित संरचना वाले 16-20 संगीतकार और नर्तक शामिल होते हैं.

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