Train में स्टेरिंग होती है या नहीं, कैसे मुड़ती है ट्रेन; नहीं पता तो अब जान लीजिए
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Train में स्टेरिंग होती है या नहीं, कैसे मुड़ती है ट्रेन; नहीं पता तो अब जान लीजिए

Railway news: सबसे पहले जान लीजिए कि ट्रेन में किसी भी तरह की स्टेरिंग नहीं होती है. हां! अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि अगर स्टेरिंग नहीं होती है तो पटरियों पर ट्रेन कैसे घूम जाती है. आपको बता दें कि ट्रेन टेक्निकल सिस्टम के जरिए चलती है.

फाइल फोटो

Indian Railway: भारत में ट्रेन का सफर तो अधिकतर लोगों ने किया होगा लेकिन ट्रेन चलती कैसे है और मुड़ती कैसे है? यह सवाल हर किसी के मन में जरूर आता है. जब ट्रेन घुमावदार पाटरियाें में चल रही होती है. उस दौरान जब ट्रेन को कोई देखता है तो यह सवाल उसके मन में जरूर उठता है कि आखिर ट्रेन कैसे मुड़ती है. ट्रेन में कोई स्टेरिंग होती है या नहीं. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है और 1 दिन में सैकड़ों ट्रेन ट्रैक पर दौड़ती हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ट्रेन कैसे मुड़ती है और इसका संचालन कैसे किया जाता है.

ट्रेन में नहीं होती स्टेरिंग

पहले तो हम आपको यह बता दें कि ट्रेन में किसी भी प्रकार की स्टेरिंग नहीं होती है. हां अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यदि स्टेरिंग नहीं होती है तो पटरियों पर ट्रेन कैसे घूम जाती है. हम आपको बता दें कि ट्रेन टेक्निकल सिस्टम के जरिए चलती है. जो भी ट्रेन में गतिविधियां होती हैं वह सब सबसे आगे लगे इंजन के माध्यम से की जाती हैं. पहले यह काम रेलवे कर्मचारियों द्वारा किया जाता था लेकिन अब इसके लिए अलग-अलग मशीनें आ गई हैं. यह सभी मशीनें बहुत ही हाईटेक हैं जो सिग्नल और रूट के हिसाब से काम करती हैं. इन मशीनों को एक बार सेट कर दिया जाता है. इसके बाद यह अपने हिसाब से काम करती रहती हैं. कोई भी टेक्निकल फाल्ट आने से पहले ही यह मशीन रेलवे कर्मचारियों को सूचित भी कर देती हैं.

पटरियों को जकड़ लेते हैं ट्रेन के पहिए

आपको बताते चलें कि ट्रेन के पहिए इस तरह बनाए जाते हैं कि वह पटरियों को बिल्कुल जकड़ लेते हैं ताकि ट्रेन कितनी भी स्पीड में हो लेकिन पटरिया ना छोड़े, वहीं घुमावदार पटरियों के अंदर एक नुकीला लोहा लगा रहता है. जो की ट्रेन की दिशा को बदल देता है. इस नुकीले लोहे के माध्यम से ही ट्रेनें एक लाइन से दूसरी लाइन पर आ जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इन चीजों को भी मशीनों से ही रेगुलेट किया जाता है. इसके लिए कोई भी रेलवे कर्मचारी नहीं होता है.

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