ऐसा गांव जहां हर घर के बाहरी दीवार पर लिखी हैं रामचरित मानस की चौपाई
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ऐसा गांव जहां हर घर के बाहरी दीवार पर लिखी हैं रामचरित मानस की चौपाई

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की मेघनगर तहसील में स्थित घोसलिया बाड़ा गांव एक खास वजह से सुर्खियों में है. खबरों के अनुसार, इस गांव के हर घर की बाहरी दीवार पर रामचरितमानस ग्रंथ से एक चौपाई लिखी हुई है.

 

ऐसा गांव जहां हर घर के बाहरी दीवार पर लिखी हैं रामचरित मानस की चौपाई

Ramcharit Manas In Village: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की मेघनगर तहसील में स्थित घोसलिया बाड़ा गांव एक खास वजह से सुर्खियों में है. खबरों के अनुसार, इस गांव के हर घर की बाहरी दीवार पर रामचरितमानस ग्रंथ से एक चौपाई लिखी हुई है. गौरतलब है कि इस गांव में लबना समुदाय के लोग रहते हैं. इस घोसलिया बाड़ा गांव में कुल 54 परिवार रहते हैं, जिनमें करीब 350 लोग हैं. यहां खास बात ये है कि हर घर की बाहरी दीवार पर रामचरितमानस से एक चौपाई के अलावा ज्ञानवर्धक शब्द भी लिखे गए हैं.

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दीवारों पर लिखे इन श्लोकों के पीछे एक खास वजह

दीवारों पर लिखे इन श्लोकों के पीछे एक खास वजह है. गांव के रहने वालों का मानना है कि लोगों को अपने धर्म से जुड़ाव महसूस होना चाहिए. इसीलिए, उन्होंने ये पहल शुरू की है. जब भी बच्चे या बड़े घर से बाहर निकलते हैं, तो उनकी नजर इन श्लोकों पर पड़ेगी. इससे उन्हें अपने धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत याद आएगी और वे इसके बारे में और जानने के लिए प्रेरित होंगे.

श्लोकों की एक तस्वीर वायरल

धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने की इस पहल को समाज के हर वर्ग से सराहना मिल रही है. सोशल मीडिया पर इन गांव की दीवारों पर लिखे गए श्लोकों की एक तस्वीर वायरल हो गई है. ये चौपाई दरअसल ये बताती है कि झीलों में कमल खिल रहे हैं और जंगलों में पेड़ उग रहे हैं. कई सारे जानवर और पक्षी आपस में बिना किसी बैर के खुशी से अपना जीवन जी रहे हैं. रामचरितमानस में ऐसी ही कई और चौपाइयां हैं जो इंसानों को ज़िंदगी के अहम सबक सिखाती हैं.

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रामचरितमानस और रामायण दोनों ही अलग-अलग

हालांकि, कुछ लोग रामायण और रामचरितमानस को एक ही मान लेते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग ग्रंथ हैं. भले ही दोनों में भगवान राम को ही मुख्य पात्र के रूप में दिखाया गया है, लेकिन रामचरितमानस मूल रामायण का ही दूसरा रूप है. दोनों ग्रंथों को अलग-अलग लेखकों ने लिखा है. रामायण को महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था, जबकि रामचरितमानस की रचना तुलसीदास जी ने की थी.

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