टीपू सुल्तान की इस तस्वीर की क्या होगी कीमत? अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप
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टीपू सुल्तान की इस तस्वीर की क्या होगी कीमत? अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

Tipu Sultan Painting: टीपू सुल्तान की ऐतिहासिक जीत को दिखलाने वाली सचित्र पेटिंग करोड़ों की कीमत में बिकी. लंदन के सोथबी ऑक्शन हाउस में इस पेंटिंग की बोली लगी. 

टीपू सुल्तान की इस तस्वीर की क्या होगी कीमत? अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

Viral News: 1780 में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) पर मैसूर (Mysore) के शासक हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) की ऐतिहासिक जीत को दर्शाने वाली एक स्पष्ट रूप से सचित्र पेंटिंग (Illustrated Painting) बुधवार को लंदन में 630,000 पाउंड (6.32 करोड़ रुपये) में बिकी.

  1. पेटिंग 6 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत में बिकी
  2. एक्सपर्ट ने बताया कि पेटिंग में किन दृश्यों को दिखलाया गया
  3. 'द बैटल ऑफ पोलीलूर' की पेंटिंग 32 फीट लंबी

पेटिंग 6 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत में बिकी

10 सितंबर 1780 को द्वितीय एंग्लो-मैसूर युद्ध में हुई 'द बैटल ऑफ पोलिलूर' (The Battle of Pollilur) की पेटिंग सोथबी ऑक्शन हाउस में आकर्षण का केंद्र बनी रही. बता दें कि अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए टीपू सुल्तान ने 1784 में सेरिंगपट्टम में नव-निर्मित दरिया दौलत बाग में 'पोलीलूर की लड़ाई' की एक पेंटिंग को कमीशन किया था.

 

 

एक्सपर्ट ने बताया कि पेटिंग में किन दृश्यों को दिखलाया गया

सोथबी के विशेषज्ञ विलियम डेलरिम्पल ने कहा, 'इस पेंटिंग में आतंक, अराजकता और युद्ध की हिंसा दिखाई दे रही है. यह यकीनन उपनिवेशवाद की हार की सबसे बड़ी भारतीय तस्वीर है जो आज भी मौजूद है. यह अद्वितीय और शानदार कलाकृति है.' बता दें कि विलियम डेलरिम्पल 'द एनार्की: द रिलेन्टलेस राइज ऑफ द ईस्ट इंडिया कंपनी' के लेखक भी हैं.

उन्होंने कहा, 'टीपू सुल्तान शायद सबसे प्रभावी प्रतिद्वंद्वी था, जिसका ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस वक्त सामना किया था. टीपू ने दिखाया कि भारतीय उनसे लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं. पोलिलूर की लड़ाई (Battle of Pollilur) में ही पहली बार कोई यूरोपीय सेना भारत से पराजित हुई थी.'

'द बैटल ऑफ पोलीलूर' की पेंटिंग 32 फीट लंबी

ऑक्शन हाउस के अनुसार, ओरिजनल पोलिलूर पेंटिंग की तीन मौजूदा प्रतियां हैं- बड़ौदा संग्रहालय में एक मिनिएचर में तीन विवरण, श्रृंखला के वर्गों को दर्शाने वाली 24 प्रारंभिक पेंटिंग और इस सप्ताह बेची गई पूरी पैनोरमा. मुगल इतिहासकार गुलाम हुसैन खान के अनुसार, पेंटिंग लगभग 32 फीट लंबी है, जो 10 बड़े कागजों में फैली हुई है. यह पेटिंग उस क्षण पर ध्यान केंद्रित करती है जब ईस्ट इंडिया कंपनी का गोला बारूद फट जाता है और ब्रिटिश चौक टूट जाता है, जबकि टीपू की घुड़सवार सेना बाएं और दाएं से आगे बढ़ती है.

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