World Biggest Roti: इस देश में बनती हैं दुनिया की सबसे बड़ी रोटियां, एक रोटी से भर जाता है 2 लोगों का पेट; यूनेस्को के हैरिटेज में शामिल
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World Biggest Roti: इस देश में बनती हैं दुनिया की सबसे बड़ी रोटियां, एक रोटी से भर जाता है 2 लोगों का पेट; यूनेस्को के हैरिटेज में शामिल

World Biggest Bread: क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी रोटियां कहां बनाई हैं? ऐसी एक रोटी खाते ही एक नहीं बल्कि 2 लोगों का पेट भर जाता है. आज हम इस अद्भुत रोटी के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं. 

World Biggest Roti: इस देश में बनती हैं दुनिया की सबसे बड़ी रोटियां, एक रोटी से भर जाता है 2 लोगों का पेट; यूनेस्को के हैरिटेज में शामिल

Armenia Lavash Bread has UNESCO Heritage Status: आप अपने घरों में रोजाना रोटी-सब्जी खाते होंगे. आप उन रोटियों का साइज भी जानते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे बड़ी रोटी कहां पर बनती है. उस एक रोटी को खाने से एक नहीं बल्कि 2 लोगों का पेट एक साथ भर जाता है. इसी खासियत की वजह से यूनेस्को (UNESCO) ने उन रोटियों को कल्चरल हैरिटेज का दर्जा दे रखा है. उन रोटियों को बनाने के लिए स्पेशल तंदूर बनाए जाते हैं. आज हम दुनिया की सबसे रोटी से जुड़े ऐसे ही दिलचस्प तथ्यों से आपको अवगत करवाएंगे. 

आर्मेनिया में बनती है दुनिया की सबसे बड़ी रोटी

दुनिया की इस सबसे बड़ी रोटी का नाम लवाश (Lavash Roti) है. यह आर्मेनिया (Armenia) में सदियों से बनाई जा रही है. हमारे यहां बनाई जाने वाली 8 रोटियों इसमें समा जाएंगी. यह लंबी अंडाकार वाली रोटी होती है, जिसे पहले स्पेशल तंदूर में बनाया जाता है और उसके बाद फोल्ड करके रख दिया जाता है. भूख लगने पर इसे ताजा भी खा लिया जाता है. साथ ही बाद में भी इसका सेवन किया जा सकता है. 

ऐसे बनाई जाती हैं लवाश रोटियां 

आर्मेनिया (Armenia) के साथ ही यह रोटी (Lavash Roti) ईरान, अजरबैजान, किर्गिस्तान और तुर्की में भी लोकप्रिय है. इसे आटे, पानी, चीनी, खमीर और नमक को मिलाकर बनाया जाता है. कई जगहों पर इसे खमीर और चीनी के बगैर भी बनाया जाता है. इसके बाद फर्श पर इसे बेला जाता है. इसके बाद अफीम के बीज और तिल छिड़ककर इसे तंदूर में डालकर पका दिया जाता है. 

एक साल तक खा सकते हैं लवाश

ताजी लवाश रोटी (World Biggest Roti) खाने में टेस्टी और मुलायम होती है, जबकि सूख जाने पर यह कड़ी होकर टूटने लगती है. इसलिए इसका ताजा सेवन करना अच्छा माना जाता है. हालांकि यह पैक कर दुकानों में भी बिकती है. इसके लिए लवाश रोटियों (Lavash Roti) को फोल्ड करके रैप करके पैक दिया जाता है. इसके बाद सालभर इन रोटियों को खाया जा सकता है. 

अलग-अलग तरीके से करते हैं सेवन

वहीं आर्मेनिया (Armenia) के गांवों में इसे खाने का दूसरा तरीका भी अपनाया जाता है. वहां पर सूखी लवाश रोटी (Lavash Roti) एक के ऊपर एक रख देते हैं. इसके बाद जब भी किसी को भूख लगती है तो वह सूखी लवाश रोटी निकालकर उस पर हल्का पानी छिड़क देता है. ऐसा करने से वह रोटी फिर से खाने लायक हो जाती है. कई देशों में इसमें मीठी डिश डालकर भी खाया जाता है. जबकि मध्य पूर्व के देश इसे कबाब के साथ खाते हैं. 

यूनेस्को के कल्चरल हैरिटेज में शामिल

यूनेस्को (UNESCO) ने लवाश रोटी (Lavash Roti) को आर्मेनिया की देन मानते हुए उसे अपनी कल्चरल हैरिटेज लिस्ट में शामिल किया है. यूनेस्को के इस फैसले का पड़ोसी देशों ने विरोध भी किया था. ईरान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, अजरबैजान और तुर्की का कहना था कि यह आर्मेनिया का स्पेशल हैरिटेज नहीं बल्कि क्षेत्रीय देन है. लिहाजा लवाश रोटी (World Biggest Roti) को इसी रूप में मान्यता दी जानी चाहिए. 

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