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World's Oldest Cemetery: जीवाश्म विज्ञानियों ने दक्षिण अफ्रीका में एक पुराने दफन स्थल या फिर यू कहें कि कब्रिस्तान की खोज की है. इस दफन स्थल में मनुष्यों के छोटे मस्तिष्क वाले अवशेष मिले हैं. यह खोज इसलिए चौंकाने वाली है क्योंकि इन स्तनधारियों को दफन करने में असमर्थ माना जाता था. दरअसल, दफन करना एक जटिल व्यवहार है. यह इंसानों की एक विशिष्ट विशेषता मानी जाती है. लेकिन, इस खोज से पता चलता है कि मनुष्यों के पूर्वज भी दफन करने में सक्षम थे. मशहूर जीवाश्म विज्ञानी ली बर्जर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने जून में बताया कि उनके द्वारा होमो नलेडी के कई नमूने खोजे गए हैं.
पुराने समय में कैसे होता था दफन प्रक्रिया
पाषाण युग के होमिनिड्स के ये अवशेष मानव जाति के पालने के अंदर एक गुफा प्रणाली मिली, जो लगभग 30 मीटर (100 फीट) तक जमीन के अंदर दफन पाए गए. यह जोहान्सबर्ग के नजदीक यूनेस्को द्वारा नामित विश्व धरोहर स्थल है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि होमिनिड्स पेड़ों पर चढ़ने में अच्छे थे. ईलाइफ में प्रकाशित कई पेपर्स में वैज्ञानिकों ने कहा, "ये होमिनिन रिकॉर्ड में अब तक दर्ज किए गए सबसे प्राचीन हैं, जो होमो सेपियंस के साक्ष्य से कम से कम 1,00,000 साल पहले के हैं."
दफन में होमो सेपियन्स के अवशेष
मिडिल ईस्ट और अफ्रीका में पुरातत्वविदों द्वारा पहले पाए गए सबसे पुराने दफन में होमो सेपियन्स के अवशेष थे, जो लगभग 100,000 वर्ष पुराने होने का अनुमान लगाया गया था. ली बर्जर द्वारा दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए अवशेष कम से कम 200,000 ईसा पूर्व के हैं. अवशेष होमो नलेदी के भी हैं, जो एक आदिम प्रजाति थी और उसका दिमाग संतरे जितना बड़ा था. खोज के बारे में बोलते हुए रिसर्च ने कहा, "इन खोजों से पता चलता है कि मुर्दाघर प्रथाएं एच सेपियन्स या बड़े मस्तिष्क आकार वाले अन्य होमिनिन तक सीमित नहीं थीं. उनसे पहले भी ऐसा होता रहा है."
कब्रिस्तान के अलावा भी थे कई संकेत
उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान ही एकमात्र संकेत नहीं है जो यह साबित करता है कि होमो नलेदी दफन करने में सक्षम थे. वे दफनाने के बाद एक आकार बनाते थे, जो एक 'रफ हैशटैग' शेप जैसा था. इन्हें वहां के गुफा स्तंभ की सतहों पर खोजी गई थी. ली बर्जर ने एक इंटरव्यू में कहा, "इसका मतलब यह होगा कि मनुष्यों ने प्रतीकात्मक प्रथाओं को विकसित नहीं किया, बल्कि उन्हें फॉलो किया. उन्होंने ऐसे व्यवहारों का आविष्कार भी नहीं किया होगा."
2015 में, बर्जर को अपनी खोजों के बाद विरोध का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा, "उस समय वैज्ञानिकों के लिए यह बहुत बड़ी बात थी. हमें लगता था कि यह सब इस हमारे पूर्वज की दिमाग की उपज है. हालांकि, अब हम दुनिया को बताने वाले हैं कि यह सच नहीं है."