मोदी सरकार के बाद कश्‍मीर के अलगाववादियों के खिलाफ चीन भी दिखा सकता है कड़ा रुख, ये है वजह
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मोदी सरकार के बाद कश्‍मीर के अलगाववादियों के खिलाफ चीन भी दिखा सकता है कड़ा रुख, ये है वजह

ऑल पार्टी हुर्र‍ियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी ने कहा था कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. उन्हें जबरदस्ती कैंपों में बंद करके रखा गया है. गिलानी के इस बयान के बाद चीन का भड़कना तया है.

मोदी सरकार के बाद कश्‍मीर के अलगाववादियों के खिलाफ चीन भी दिखा सकता है कड़ा रुख, ये है वजह

नई दिल्‍ली: चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्‍ल‍िमों को हिरासत में रखने और चीन सरकार की तरफ से उनके साथ किए जा रहे भेदभाव पर जहां ज्यादतर मुस्लिम देश चुप हैं. वहीं पिछले दिनों कश्मीर के अलगावादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी का बयान चीन की चिंता बढ़ा सकता है. ऑल पार्टी हुर्र‍ियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी ने कहा था कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. उन्हें जबरदस्ती कैंपों में बंद करके रखा गया है. गिलानी के इस बयान के बाद चीन का भड़कना तया है.

कश्मीर के सभी अलगाववादी गुट पाकिस्तान के मुखौटे हैं और पाकिस्तान इन्हें भारत के खिलाफ समय-समय पर इस्तेमाल करता रहता है. पाकिस्तान और अलगावादियों के बीच इस गठजोड़ पर चीन हमेशा चुप्पी साधे रहता है, लेकिन गिलानी की उइगर मुसलमानों पर की गई टिप्पणी चीन को नाराज़ कर सकती है.

इस महीने दस जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत करीब सभी मुस्लिम देशों ने चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार पर चीन का बचाव किया था,  जबकि सभी यूरोपियन देशों समेत करीब 22 देशों ने बयान जारी कर चिंता जाहिर की थी. मुस्लिम देशों ने कहा था कि चीन ने आतंक और कट्टरता खत्म करने की प्रकिया में हमेशा मानवाधिकार का सम्मान किया है.

सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, "कश्मीरी अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी का बयान चीन की परेशानी का सबब बन सकता है. जहां पाकिस्तान से लेकर सभी मुस्लिम देश उइगर मुसलमानों के मामलों में चीन के साथ हैं. वहीं गिलानी ने इस मुद्दे को पूरी दुनिया के सामने जोर शोर से उठाया है. ऐसे में चीन पाकिस्तान से इन अलगाववादी गुटों से दूरी बनाने को कह सकता है."

चीन के शिनजियांग प्रांत में लंबे समये से उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार की खबरें आती रहती हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टस में भी ये दावा किया गया था कि चीनी प्रशासन मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में बंद कर उनके धार्मिक पहचान की चीज़ों से उन्हें अगल कर रहा है. अमेरिका समेत कई यूरोपियन देश पहले ही चीन की निंदा कर चुके हैं. लेकिन पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादी गुटों की तरफ से इस मामले पर नाराजगी जाहिर करने से चीन के लिए स्थिति‍ संभालनी और मुश्किल हो सकती है.

सैयद अली शाह गिलानी ने मीडिया में जारी बयान में कहा था कि "उइगर मुसलमानों को धार्मिक आजादी पर अंकुश लगा दिया गया है. उन्हें जबरदस्ती दिन में खाने और पीने के लिए कहा जाता है. जिससे वो धार्मिक कार्यकलापों को निभा पाने में असमर्थ हैं."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में लोगों के नमाज पढ़ने से लेकर महिलाओं के बुर्का पहनने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. रमजान के महीने में भी उइगर लोगों को रोज़ा रखने की इजाजत नहीं है. चीन शिनजियांग में मौजूद हिरासत केन्द्रों में उइगर मुसलमानों को धार्मिक कट्टरवाद से निपटने के लिए प्रशिक्षण भी देता है.

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