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लंदन: पूरी दुनिया में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चीन (China) कठघरे में है. अमेरिका (America) सहित तमाम देश यह मानते हैं कि चीन की वुहान (Wuhan) लैब से वायरस इंसानों में फैला. हालांकि, चीन इससे इनकार करता रहा है, लेकिन इतिहास के पन्ने पलटकर यदि देखें तो बीजिंग के ‘इनकार’ में कोई दम नजर नहीं आता. चीन में पहले भी बायोलैब से वायरस फैलने की घटनाएं हो चुकी हैं. इसलिए यूएस के इस दावे को खारिज नहीं किया जा सकता कि कोरोना महामारी के पीछे चीन है.
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की प्रयोगशालाएं दुनिया में जानलेवा वायरस का खौफ पैदा करती रही हैं. 1977 से लेकर 2020 तक कई ऐसी घटनाएं हुईं हैं. इसलिए यह मान लेना कि कोरोना वायरस (Coronavirus) वुहान लैब से नहीं निकला, मुश्किल है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की अधिकांश बायोलैब में सुरक्षा मानकों को ध्यान नहीं रखा जाता. यहां तक कि वहां काम करने वाले भी गंभीर लापरवाही बरतते हैं.
रटगर्स विश्वविद्यालय (Rutgers University) में रसायन विज्ञान और रासायनिक जीव विज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड एच एब्राइट (Richard H Ebrigh) उन वैज्ञानिकों में शामिल हैं, जो मानते हैं कि लैब लीक थ्योरी की विस्तृत जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 2004 में बीजिंग में दो अलग-अलग प्रयोगशाला दुर्घटनाएं हुईं थीं, जिसकी वजह से SARS वायरस मनुष्यों में प्रवेश कर गया था. बता दें कि SARS का मतलब सडन एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम है और SARS-CoV-2 कोरोना वायरस है, जो COVID-19 का कारण बनता है.
प्रोफेसर रिचर्ड ने बताया कि चीन की प्रयोगशालाओं में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता. वहां कर्मचारी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के नाम पर केवल दस्ताने इस्तेमाल करते हैं और कभी-कभी उन्हें पहनने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाते. जिसके चलते वायरस के लोगों में फैलने का खतरा बना रहता है. रिपोर्ट के अनुसार, 2004 में, दो चीनी शोधकर्ता सार्स के संपर्क में आए थे और यह वायरस दूसरे लोगों में भी फैल गया था. इसी तरह, 1970 के दशक के अंत में एक H1N1 इन्फ्लूएंजा महामारी भी लैब लीक का परिणाम थी. जबकि 2020 में फैले जीवाणु संक्रमण के लिए वैक्सीन संयंत्र से रिसाव को जिम्मेदार ठहराया गया था.
2004 की घटना में करीब 700 लोगों को क्वारंटाइन करना पड़ा था. इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने की बात कही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसी तरह, उत्तर-पूर्वी चीन में 1977 H1N1 खौफ का विषय बन गया था. मुख्यतौर पर तियानजिन, लियोनिंग और जिलिन शहर इससे प्रभावित थे. माना जाता है कि यह भी लैब लीक का परिणाम था. 2010 में वैज्ञानिक दस्तावेज में कहा गया था कि यह वायरस 20 साल बाद फिर से प्रकट हुआ था. पिछले साल यानी कि 2020 में एक वैक्सीन प्लांट बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बना था. इस घटना में करीब 6000 प्रभावित हुए थे.