LAC पर भारत हुआ और ताकतवर, बाल भी बांका नहीं कर पाएगा चीन, बड़ा खुलासा
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LAC पर भारत हुआ और ताकतवर, बाल भी बांका नहीं कर पाएगा चीन, बड़ा खुलासा

India-China Relation: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने रविवार को कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की परियोजनाओं के अनुरूप अपनी ढांचागत क्षमताओं को मजबूत बना रहा है.

LAC पर भारत हुआ और ताकतवर, बाल भी बांका नहीं कर पाएगा चीन, बड़ा खुलासा

India-China Relation: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने रविवार को कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की परियोजनाओं के अनुरूप अपनी ढांचागत क्षमताओं को मजबूत बना रहा है. चौधरी यहां अमरनाथ यात्रा के मार्गों से संबंधित कार्यों की समीक्षा करने आए थे. वार्षिक अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी और 31 अगस्त को समाप्त होगी.

लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, “ चीन जो बना रहा है, हम उससे कहीं बेहतर बना रहे हैं. इसलिए इस बात की चिंता की कोई जरूरत नहीं है कि हम किसी भी मामले में पीछे हैं. हम सीमाओं पर ढांचागत क्षमताओं को मजबूत बना रहे हैं.” उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही सीमा के पास के क्षेत्रों के लिए 662 'वाइब्रेंट विलेज' परियोजना की घोषणा कर चुकी है.

बीआरओ के महानिदेशक ने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं अरुणाचल प्रदेश के किबिथू गांव गए जो पूरब में सबसे अंतिम गांव है और जिसे हम अरुणाचल प्रदेश का पहला गांव कहते हैं. कुल मिलाकर 441 गांव अरुणाचल प्रदेश में ही हैं. इसलिए, उत्तरी सीमाओं पर, सरकार बहुत ध्यान दे रही है और बहुत तेजी से विकास हो रहा है.”

'भारत सैन्य गठबंधनों का हिस्सा बनने में यकीन नहीं रखता'

उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री ने शनिवार को यहां कहा कि भारत सैन्य गठबंधनों का हिस्सा बनने में यकीन नहीं रखता है, हालांकि वह जिन तंत्रों का हिस्सा है, वहां स्वयं को बराबर के सहभागी के रूप में देखता है. ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ (आईआईएसएस) द्वारा आयोजित ‘सांगरी-ला डायलॉग’ में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मिस्री ने कहा कि इनमें से कई तंत्रों के मूल में समानता है.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सैन्य गठबंधनों का हिस्सा बनने में यकीन नहीं रखता है. लेकिन, हमारी सैन्य और रक्षा क्षेत्रों में विभिन्न देशों के साथ साझेदारी है.’’ मिस्री ने कहा, ‘‘गठबंधनों का अलग ही संकेतक है और उनकी व्याख्या भी बहुत अलग है. हम किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. हम जिन तंत्रों का हिस्सा हैं, वहां स्वयं को बराबरी के साझेदार के रूप में देखते हैं.’’

चीन में भारत के राजदूत रह चुके मिस्री ने हिन्द महासागर में भारत-अमेरिका की साझेदारी पर कहा, ‘‘हर जगह साझेदारी मुक्त और समावेशी होनी चाहिए और अगर मैं गलत नहीं हूं तो यह भारत के हिन्द-प्रशांत विचारधारा का भी मूल है.’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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