दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद तो दोनों देशों के संबंध मधुर रहने की बजाए खट्टे ज्यादा रहे. चीन हमेशा से ही दलाई लामा को मान्यता देने से इनकार करता रहा है.
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बीजिंग: तमाम दावों के बावजूद भारत और चीन के संबंध कभी बहुत अच्छे नहीं रहे. इनमें हमेशा से उतार चढ़ाव चलता रहा. खासकर दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद तो दोनों देशों के संबंध मधुर रहने की बजाए खट्टे ज्यादा रहे. चीन हमेशा से ही दलाई लामा को मान्यता देने से इनकार करता रहा है.
सीआरटीसी के प्रोफेसर झा लुओ ने कहा, यदि भारत चीन द्वारा नियुक्त किए जाने वाले दलाई लामा को मान्यता नहीं देता है तो दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर पड़ सकता है. दरअसल मौजूदा दलाई लामा के बाद अगला दलाई लामा को चीन खुद नियुक्त करना चाहता है.
अभी 14वें दलाई लामा भारत में हैं. वह 1950 में चीन सरकार के कारण भागकर भारत और यहीं पर शरण ली. उनके बाद तिब्बत की निर्वासित सरकार अगले दलाई लामा की घोषणा करेगी, लेकिन इधर चीन ने साफ कर दिया है कि वह खुद अगले दलाई लामा की घोषणा करेगा. जाहिर है वह तिब्बत में अपनी किसी कठपुतली को उस जगह बिठाना चाहता है.