विदेशों में भी China का खौफ: Teachers ने बताई सच्चाई, कहा-‘Class में Dragon की बात करने पर मिलती है धमकी’
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विदेशों में भी China का खौफ: Teachers ने बताई सच्चाई, कहा-‘Class में Dragon की बात करने पर मिलती है धमकी’

चीन और हॉन्ग कॉन्ग के 24 लोकतंत्र समर्थक छात्रों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में 22 शिक्षाविदों के इंटरव्यू से यह बात सामने आई है कि चीन को लेकर विदेशों में भी खौफ है. उसके बारे में बात करना भी मुश्किल हो गया है. खासकर, शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद से हालात काफी बिगड़ गए हैं.

शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से चीन में हालात काफी खराब हो गए हैं. (फाइल फोटो)

सिडनी: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) सरकार अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाना बखूबी जानती है. देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चीन की खिलाफत करने वाले CPC के निशाने पर रहते हैं. कई लेक्चरर्स और छात्रों का मानना है कि पिछले कुछ समय में हालात काफी तेजी से बदले हैं और अब उनके लिए क्लास में भी चीन (China) के खिलाफ बात करना आसान नहीं है. बता दें कि चीन में अभिव्यक्ति की आजादी केवल किताबों तक ही सीमित है. 

  1. ह्यूमन राइट्स वॉच ने जारी की रिपोर्ट
  2. कई छात्रों और टीचर्स का लिया इंटरव्यू
  3. चीनी छात्र भी देते हैं शिक्षकों को धमकी 

लगातार किया जा रहा है परेशान 

ह्यूमन राइट्स वॉच ने आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों (Australian Universities) में पढ़ने वाले चीन और हॉन्ग कॉन्ग के छात्रों पर चीनी सरकार की निगरानी के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह ‘डर’ सामने आया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी  की आलोचना करने वाले छात्रों और शिक्षाविदों को बीजिंग के समर्थकों से धमकी मिल रही हैं. उन्हें विदेशों में भी लगातार परेशान किया जा रहा है. चीन और हॉन्ग कॉन्ग के 24 लोकतंत्र समर्थक छात्रों और ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में 22 शिक्षाविदों के इंटरव्यू से पता चला कि ये सभी खतरों, उत्पीड़न और निगरानी से बचने के लिए सेल्फ-सेंसर का पालन कर रहे हैं.

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Meeting में साझा किए अनुभव

सिडनी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जॉयस वाई एम निप और सीनियर लेक्चरर एंड्रयू रॉस ने बताया कि जून में बंद कमरे में हुई चर्चा में, कला और सामाजिक विज्ञान के व्याख्याताओं ने इसी तरह के अनुभवों के बारे में बात की. जहां तक हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान जैसे वैचारिक मुद्दों का संबंध है, व्याख्याताओं ने बताया कि कैसे अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्रों का एक मुखर अल्पसंख्यक वर्ग शिक्षण सामग्री और कक्षा चर्चा पर नजर रख रहा है. इन छात्रों की वजह से इनके सहपाठियों ने चुप्पी ओढ़ ली है.

Chinese स्टूडेंट ने Mail भेज धमकाया 

कई लेक्चरर्स ने बताया कि उन्हें कुछ छात्रों द्वारा चीन के बारे में पठन सामग्री पढ़ाने को लेकर चुनौती दी गई थी. लेक्चरर ने बताया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के देश का जिक्र करने को लेकर उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्र से ईमेल प्राप्त हुआ. छात्र ने जोर देकर कहा कि ताइवान और हॉन्ग कॉन्ग अलग-अलग राज्य संस्थाएं नहीं हैं (जैसा कि जनसांख्यिकी विवरण में बताया गया था), ये चीन का हिस्सा थे और जानकारी को सही किया जाना चाहिए. इस तरह की कई घटनाएं देखने में आ चुकी हैं.

Corona पर बात करना भी मना 

व्यावसायिक अध्ययन पाठ्यक्रम में एक अन्य व्याख्याता को कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए इसे चीनी शहर वुहान से उत्पन्न बताने पर एक अंतरराष्ट्रीय छात्र द्वारा कक्षा में चुनौती दी गई थी. एक अन्य अवसर पर एक चीनी छात्र ने अपनी प्रस्तुति के दौरान निर्धारित विषय पर बोलने की बजाय इस बात को घोषणा की तरह कहा कि पश्चिमी मीडिया चीन के खिलाफ पक्षपाती था. ऐसी चुनौतियों का सामना करने वालीं एक व्याख्याता ने कहा कि वह खुद को विवादास्पद मुद्दों से दूर रखने के लिए मजबूर पाती हैं, क्योंकि यदि उन्हें उठाया जाता है, तो कक्षा का कम समय उत्पादक चर्चा के लिए पर्याप्त नहीं होगा.

‘अब पहले जैसे नहीं रहे हालात’

व्याख्याता ने कहा कि यह समय 2000 के दशक के मध्य के विपरीत है. जब उन्होंने पढ़ाना शुरू किया, उस समय वह कक्षा में चर्चा के लिए किसी भी मुद्दे को उठाने के लिए स्वतंत्र महसूस करती थीं. एक अन्य व्याख्याता ने कहा कि मैं अब ताइवान के बारे में बात नहीं करता. गौरतलब है कि चीन ताइवान और हॉन्ग कॉन्ग को लेकर ज्यादा ही संवेदनशील है. इन पर होने वालो हर चर्चा उसे आंतरिक मामलों में हस्तेक्षप के समान लगती है.

 

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