जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद चीन, अमेरिका समेत विश्व बिरादरी में इस मुद्दे को उठाने के बावजूद पाकिस्तान को कोई समर्थन नहीं मिला.
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नई दिल्ली/कराची: जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद चीन, अमेरिका समेत विश्व बिरादरी में इस मुद्दे को उठाने के बावजूद पाकिस्तान को कोई समर्थन नहीं मिला. चीन ने उसको नसीहत दी तो अमेरिका ने भी पल्ला झाड़ लिया. संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने तो कश्मीर मुद्दे पर जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा. भारत की इस बड़ी कामयाबी को स्वीकार करते हुए आखिरकार पाकिस्तान ने हार मान ली है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ये बात स्वीकार करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों (P5) के समक्ष यदि वह कश्मीर मुद्दे को उठाता है तो उसको समर्थन मिलना मुश्किल है. कुरैशी ने यहां तक कहा कि मुस्लिम देशों से भी उनको समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है.
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एक प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ''सुरक्षा परिषद के लोग कोई गुलदस्ता लेकर नहीं खड़े हैं. P5 सदस्यों में से कोई भी बाधा उत्पन्न कर सकता है. इस मामले में कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए. किसी तरह के भ्रम में नहीं रहना चाहिए.'' इसके साथ ही जोड़ा, ''पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों को ये जान लेना चाहिए कि वहां (यूएनएससी में) आपका कोई इंतजार नहीं कर रहा और न ही आपके निमंत्रण का इंतजार कर रहा है.''
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पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने ये भी कहा, ''ढेर सारे देशों के भारत के साथ हित जुड़े हैं. मैंने पहले ही इस बारे में आपको संकेत दिए थे. ढेर सारे लोगों ने भारत में निवेश किया है.'' इसके विस्तार में जाते हुए उन्होंने कहा, ''हमने मुस्लिम देशों से इस बारे में बात की लेकिन मुस्लिम देशों की रहनुमाई करने वालों ने वहां (भारत) निवेश कर रखा है. उनके वहां पर हित हैं.''
Foreign minister Shah Mamood Quereshi is saying no Pakistani or Kashmiri should live in a fool's paradise re Kashmir, UN Security Council is not standing with pholon k haar. pic.twitter.com/TRjf6e3VG1
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) August 12, 2019
कुरैशी का बयान ऐसे वक्त आया है जब सऊदी अरब की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी अरामको ने रिलायंस के तेल एवं केमिकल बिजनेस में 20 प्रतिशत निवेश का ऐलान किया है. राजस्व के लिहाज से अरामको दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. रिलायंस में निवेश के साथ ही यह भारत में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है. इसी तरह पिछले एक हफ्ते में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के दो सदस्यों यूएई और मालदीव ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत का समर्थन करते हुए कहा कि ये उसका अंदरूनी मामला है. उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने कश्मीर के मुद्दे पर पिछले दिनों खुलकर भारत का समर्थन किया है.
(इनपुट: अनस मलिक के साथ)