राज कपूर और दिलीप कुमार के पैतृक घरों को लेकर पाकिस्तान ने उठाया यह कदम
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राज कपूर और दिलीप कुमार के पैतृक घरों को लेकर पाकिस्तान ने उठाया यह कदम

पाकिस्तान ने मशहूर बॉलीवुड अभिनेता राज कपूर और दिलीप कुमार (Legendary Bollywood Actors Raj Kapoor and Dilip Kumar) के पैतृक घरों (Ancestral Houses) को संरक्षित रखने की दिशा में कदम बढ़ाया है.

खैबर-पख्तूनख्वा सरकार ने राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घरों को खरीदने का फैसला लिया है. (फोटो: फेसबुक)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) ने मशहूर बॉलीवुड अभिनेता राज कपूर (Raj Kapoor) और दिलीप कुमार (Legendary Bollywood Actors Raj Kapoor and Dilip Kumar) के पैतृक घरों (Ancestral Houses) को संरक्षित रखने की दिशा में कदम बढ़ाया है. खैबर-पख्तूनख्वा (Khyber-Pakhtunkhwa) की प्रांतीय सरकार ने दोनों अभिनेताओं के पुश्तैनी घरों को खरीदने का फैसला लिया है. 

  1. पैतृक घरों को खरीदेगी खैबर-पख्तूनख्वा की सरकार 
  2. राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घरों की स्थिति बेहद खराब है
  3. जर्जर हो चुकीं इमारतें कभी भी गिर सकती हैं
  4.  

जर्जर हो चुके हैं मकान
ये पुश्तैनी घर पेशावर में जर्जर हालात में हैं और कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं. पुरातत्व विभाग (Department of Archaeology) का कहना है कि दोनों भवनों को खरीदने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जायेगी. स्थानीय सरकार ने इन घरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है.

‘कपूर हवेली’ में पैदा हुआ थे राज कपूर
पुरातत्व विभाग के प्रमुख डॉ अब्दुस समद खान (Dr Abdus Samad Khan) ने बताया कि दोनों ऐतिहासिक इमारतों की कीमत निर्धारित करने के लिए पेशावर के उपायुक्त को एक आधिकारिक पत्र भेजा गया है, जहां बंटवारे से पहले भारतीय सिनेमा के दो महानायकों का जन्म और बचपन में पले-बढ़े थे. राज कपूर के पैतृक घर को कपूर हवेली (Kapoor Haveli) के नाम से जाना जाता है, जो कि किस्सा ख्वानी बाजार (Qissa Khwani Bazar )में स्थित है. इसे राज कपूर के दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर (Dewan Basheswarnath Kapoor) ने 1918 से 1922 के बीच बनवाया था. राज कपूर और उनके चाचा त्रिलोक कपूर इसी इमारत में पैदा हुए थे.

कमर्शियल प्लाजा बनाना चाहते थे
अभिनेता दिलीप कुमार का 100 साल पुराना पुश्तैनी घर भी उसी इलाके में और बेहद जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. 2014 में तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था. अब्दुस समद खान के मुताबिक, इन ऐतिहासिक इमारतों के मालिकों ने कई बार इन्हें तोड़कर कमर्शियल प्लाजा बनाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया. क्योंकि पुरातत्व विभाग ऐतिहासिक महत्व के कारण इन्हें संरक्षित करना चाहता है.

वादे के पूरा होना का इंतजार
वहीं, कपूर हवेली के मालिक अली कादर (Ali Qadar) ने कहा कि उन्होंने कभी भी इमारत को ध्वस्त करने के बारे में नहीं सोचा. अली ने दावा किया कि ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण के लिए उन्होंने कई बार पुरातत्व विभाग से संपर्क किया था. मालूम हो कि इमारत के मालिक ने इसे सरकार को बेचने के लिए 200 करोड़ रुपये की मांग की है. 2018 में, पाकिस्तान सरकार ने ऋषि कपूर के अनुरोध पर कपूर हवेली को संग्रहालय में परिवर्तित करने का फैसला किया था, जिस अपर अब तक अमल नहीं हो सका है.

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