पाकिस्तान (Pakistan) अब फिर से अमेरिका की शरण में है. दरअसल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से निकलने के लिए उसने एक अमेरिकी फर्म लिंडेन स्ट्रेटजीज की मदद ली है, ताकि वो एफएटीएफ के सदस्य देशों का समर्थन पा सके.
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) अब फिर से अमेरिका की शरण में है. दरअसल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से निकलने के लिए उसे एक अमेरिकी फर्म लिंडेन स्ट्रेटजीज की मदद ली है, ताकि वो एफएटीएफ के सदस्य देशों का समर्थन पा सके. अभी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है और उस पर ब्लैकलिस्ट में जाने का खतरा मंडरा रहा है.
21- 23 अक्टूबर को एफएटीएफ के उप-समूह की बैठक
एएफएटीएफ (Financial Action Task Force) के उप समूह (सब ग्रुप) की 21 से 23 अक्टूबर को बैठक है, जिसमें वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग (Global Money Laundering) और आतंकवाद को वित्तपोषण जैसे मुद्दों पर बातचीत होनी है. ऐसे में पाकिस्तान को उम्मीद है कि वो ग्रे लिस्ट से बाहर निकल आएगा, क्योंकि हाल के समय में उसने आतंकी घोषित हो चुके लोगों और संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की है. हालांकि पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान इन संगठनों पर कैसी कार्रवाई करता है.
लिंडेन स्ट्रेटजीज बदलेगी पाक को लेकर दूसरे देशों का नजरिया?
पाकिस्तान (Pakistan) ने लिंडेन स्ट्रेटजीज (Linden Strategies) जैसे टॉप लॉबीस्ट फर्म को काम पर लगाया है. ताकि ये फर्म डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन का नजरिया इस्लामाबाद के प्रति बदल सके और अमेरिका की मदद पाकर पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट वाले देशों की लिस्ट से बाहर आ सके. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए 39 में से 12 सदस्यों का साथ चाहिए, हालांकि ये मुश्किल चुनौती है
ब्लैक लिस्ट में जाने से बच जाएगा पाक?
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने की संभावनाएं काफी कम हैं, क्योंकि ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से रोकने के लिए देश को 39 सदस्य देशों में से तीन देशों का समर्थन चाहिए होता है. ऐसे में पाकिस्तान को पहले से ही चीन, तुर्की और मलेशिया का समर्थन हासिल है. जिनकी मदद से पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में जाने से तो बच चाएगा, लेकिन ग्रे लिस्ट की तलवार उसके ऊपर लटकी रहेगी.