Pakistan Politics: इमरान खान ने ‘गुप्त संदेश’ विवाद मामले में उनके खिलाफ सरकारी जांच को सोमवार को लाहौर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इस मामले की जांच के सिलसिले में एफआईए ने खान को समन जारी करके छह दिसंबर को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था.
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Pakistan Political Drama: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए सोमवार को एक अच्छी खबर निकलकर सामने आई. दरअसल, पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने ‘गुप्त संदेश’ विवाद से जुड़े ऑडियो लीक मामले की जांच को लेकर संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की ओर से पूर्व पीएम इमरान खान को जारी समन पर मंगलवार को रोक लगा दी है. एजेंसी को 19 दिसंबर तक जवाब देने को कहा है.
ये है पूरा मामला
इमरान खान ने ‘गुप्त संदेश’ विवाद मामले में उनके खिलाफ सरकारी जांच को सोमवार को लाहौर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इस मामले की जांच के सिलसिले में एफआईए ने खान को समन जारी करके छह दिसंबर को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था. अदालत के एक अधिकारी ने सुनवाई के बाद बताया, ‘लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश असजाद जावेद घुराल ने एफआईए के समन के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख की याचिका की स्वीकार्यता पर रजिस्ट्रार कार्यालय की आपत्ति को पलट दिया है.’ उन्होंने बताया, ‘खान के अधिवक्ता सलमान सफदर की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने एफआईए के नोटिस पर रोक लगा दी और उसे (एजेंसी) 19 दिसंबर तक याचिका का जवाब देने को कहा है.’ न्यायमूर्ति घुराल ने खान की याचिका को ‘आपत्ति का मामला’ माना है.
इमरान के 2 नेताओं को जारी हुए थे नोटिस
एफआईए ने अमेरिकी गुप्त संदेशों से जुड़े ऑडियो लीक मामले में जांच शुरू की थी और इमरान खान की पार्टी के दो अहम नेताओं पार्टी के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी और पूर्व मंत्री असद उमर को भी नोटिस जारी किए थे. इसे लेकर पाकिस्तान में काफी सियासी बवाल मचा था. अपनी याचिका में पीटीआई के प्रमुख और देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एफआईए की जांच को राजनीति से प्रेरित और इसका मकसद उन्हें प्रताडि़त करना बताया था साथ ही उन्होंने जारी किए गए समनों को रद्द करने का आग्रह किया था.
(इनपुट : भाषा)
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