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इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) देश की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए न जाने क्या-क्या कर रहे हैं. कभी सऊदी अरब के धक्के खा रहे हैं तो कभी चीन के हांथ-पैर जोड़ रहे हैं. चीन (China) के कर्ज के दलदल में गले तक धंसने के बाद ऐसा लग रहा है कि इमरान खान अब रूस के शरणागत हो गए हैं.
लाहौर-कराची से लेकर इस्लामाबाद तक के गलियारों में सुगबुगाहट है कि पाकिस्तान अपने एक बड़े फैसले से यू टर्न ले सकता है. यानी खबरों के मुताबिक पाकिस्तान अब चीन (China) को धोखा दे सकता है. फाइनेंशियल क्राइसेस और इंटरनेशनल बिरादरी में अलग-थलग पड़ने के साथ चीन पर बढ़ी निर्भरता के चलते इमरान खान की सरकार चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को खत्म करने के लिए तैयार है.
पाकिस्तान ने CPEC को रद्द करने की पेशकश की है. हालांकि वह ऐसा तभी करेगा जब अमेरिका से उसे ऐसी ही मदद मिले. न्यूज एजेंसी एएनआई में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा हो सकता है. कुछ यही दावा एशिया टाइम्स ने किया है. दरअसल उनकी रिपोर्ट के मुतबिक पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका (US) के साथ संबंधो को सुधारने की कोशिश कर रहा है.
इस सिलसिले में इमरान खान ने मोईद यूसुफ को पाकिस्तान का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है. मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया है कि अगर पाकिस्तान को वाशिंगटन से इसी तरह की बड़ी वित्तीय मदद मिलती है तो वह चीन के साथ CPEC को पूरी तरह खत्म कर देगा.
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इमरान खान लंबे समय तक अपनी जनता को चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के फायदे बताते हुए नहीं थकते थे. वो कहते थे कि ये गलियारा पूरे पाकिस्तान की आर्थिक मजबूती का आधार बनेगा. फरवरी की शुरुआत में इमरान खान ने चीन इंस्टीट्यूट ऑफ फुडन यूनिवर्सिटी की सलाहकार समिति के निदेशक एरिक ली के साथ एक इंटरव्यू में कहा था, 'हम CPEC और ग्वादर को भू-अर्थशास्त्र के लिए एक महान अवसर के रूप में देखते हैं.' वहीं इमरान खान ने इसके साथ ही पाकिस्तान ने CPEC के 'कर्ज के जाल' होने की खबरों को खारिज किया था. इतना सब होने के बाद भी पाकिस्तान की इस प्रोजेक्ट से पीछे हटने की खबरें सभी को हैरान कर रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब दो साल से CPEC पर काम बंद होने से चीन काफी नाराज है, क्योंकि वो इस प्रोजेक्ट पर करीब 16 अरब डॉलर खर्च कर चुका है. हालांकि इस पर असमंजस भी बरकरार है क्योंकि एक ओर पाकिस्तान की पीटीआई सरकार चीन को मनाकर इसे शुरू कराना चाहती है, लेकिन काम शुरू होता उससे पहले ही प्रोजेक्ट का विरोध चरम पर पहुंच रहा है. दरअसल बलूचिस्तान के ग्वादर में मचा गदर जारी है. बीते कई दिनों से पॉलिटिकल पार्टीज, सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स, मछुआरे समेत कई अन्य तबकों के लोग CPEC के विरोध में सरकार विरोधी रैलियों में शामिल हो रहे हैं.
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यहां के लोगों की मांग है कि CPEC पर कोई भी काम शुरू करने से पहले बुनियादी सुविधाएं दी जाएं. इनमें गैरजरूरी चेक पॉइंट्स हटाना, पीने का पानी और बिजली मुहैया कराना, मछली पकड़ने के बड़े ट्रॉलर हटाना और ईरान बॉर्डर खोलना शामिल है.
गौरतलब है कि इमरान खान इसी महीने की 24 फरवरी को रूस पहुंचे थे. उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था. इस पर इमरान खान का बयान आया कि 'मैं यहां कितने सही समय पर आया हूं, यह देखने के लिए मैं उत्साहित हूं' उनके बयान की दुनिया भर में निंदा हुई. पुतिन से उनकी क्या बात हुई इसका खुलासा नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि इमरान ने वहां भी कर्ज की भी मांग की होगी. दरअसल बाइडेन ने मास्को का समर्थन करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यूक्रेन पर हमले का समर्थन करने वाला कोई भी देश बर्बादी की राह पर आकर खड़ा हो जाएगा. जानकारों के मुताबिक उनकी ये धमकी खासतौर से पाकिस्तान के लिए ही मानी जा रही है. क्योंकि पाकिस्तान इकलौता ऐसा देश था जिसके मुखिया पुतिन से तालमेल बैठाने गए थे.