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इस्लामाबाद: आर्थिक तंगी की वजह से कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान (Pakistan) के सामने एक और सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia Ukraine War) का असर अब इमरान खान (Imran Khan) की अगुवाई वाली पीटीआई सरकार पर साफ दिख रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से पाकिस्तान पेट्रोलियम उत्पादों की कमी से जूझ रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी बैंकों ने भी तेल कंपनियों को उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में रखा है और कर्ज देने से इनकार कर दिया है. वहीं पाकिस्तान के हालात कितने खराब हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश के पास डीजल का केवल पांच दिनों का भंडार बचा है. डीजल के भंडार में आई कमी के साथ इमरान सरकार भी मुश्किल में फंस गई है. एक तरफ विपक्ष लामबंद है तो दूसरी ओर डीजल की कमी की वजह से महंगाई और बढ़ सकती है.
पाकिस्तान की सामान्य महंगाई उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में मापी जाती है और यह 24 महीने के सर्वोच्च स्तर 13% पर है और लगभग सभी वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं. 'डॉन' अखबार के अनुसार जनवरी, 2020 के बाद यह सर्वोच्च सीपीआई मुद्रास्फीति है, जब यह 14.6 फीसदी थी.
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर विपक्ष को निशाने पर लेते हुए रविवार को कहा कि वह 'आलू, टमाटर' की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए राजनीति में नहीं आये. देश के हालात सुधारने से इतर इमरान खान का ध्यान पाकिस्तान की जनता की मुश्किलें दूर करने के बजाए पाकिस्तान को एक महान देश बनाने जैसी बयानबाजी में जाया हो रहा है.
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(इनपुट: पीटीआई)