अपनों ने भी मोड़ा पाकिस्तान से मुंह, कंगाल देश को नहीं भेजे पैसे, जानें कितना हुआ नुकसान
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अपनों ने भी मोड़ा पाकिस्तान से मुंह, कंगाल देश को नहीं भेजे पैसे, जानें कितना हुआ नुकसान

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी ने आंकड़े जारी किए हैं. बैंक ने बताया कि जून के महीने में विदेशों से आई राशि मई की तुलना में 4 फीसदी बढ़कर 2.18 अरब डॉलर हो गई. हालांकि जून, 2022 के 2.8 अरब डॉलर की तुलना में इस राशि में 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

अपनों ने भी मोड़ा पाकिस्तान से मुंह, कंगाल देश को नहीं भेजे पैसे, जानें कितना हुआ नुकसान

आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्तान से अब उसके अपने भी मुंह मोड़ने लगे हैं. विदेशों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों ने अपने वतन को पैसे भेजना कम कर दिया है. इस मामले में पाकिस्तान में भारी गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल, विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी अब अपने देश में गैरकानूनी तरीकों से धन भेज रहे हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान को वित्त वर्ष 2022-23 में 4 अरब डॉलर से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है.

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी ने आंकड़े जारी किए हैं. बैंक ने बताया कि जून के महीने में विदेशों से आई राशि मई की तुलना में 4 फीसदी बढ़कर 2.18 अरब डॉलर हो गई. हालांकि जून, 2022 के 2.8 अरब डॉलर की तुलना में इस राशि में 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

‘द डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में पाकिस्तान को विदेशों से कुल 27.02 अरब डॉलर रकम भेजी गई जो एक साल पहले के 31.27 अरब डॉलर की तुलना में 13.6 प्रतिशत कम है. चार अरब डॉलर से अधिक की गिरावट इस लिहाज से खास हो जाता है कि पाकिस्तान सरकार आईएमएफ से 3 अरब डॉलर की राहत पाने के लिए लगातार कोशिशों में लगी है. जून के अंत में इस पर सहमति बन पाई है.

हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने इस गिरावट को लेकर कोई ठोस कारण नहीं बताया है. लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लोगों ने पैसे भेजने में कोताही इसलिए बरती है क्योंकि पाकिस्तान सरकार द्वारा डॉलर की विनिमय दर को वास्तविक स्तर से नीचे रखने के प्रयास किए गए हैं.

पाकिस्तान सरकार ने डॉलर और पाकिस्तानी रुपये की विनिमय दर को बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में 220 रुपये के स्तर पर रखने की कोशिश की थी जो नुकसानदेह साबित हुई. खुले बाजार में डॉलर के मजबूत होने से एक तरह का अवैध विनिमय बाजार पैदा हो गया जिसमें डॉलर के मुकाबले 20-25 रुपये ऊंचा भाव मिल रहा था.

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज पाने के लिए दबाव में आई सरकार ने आखिरकार फरवरी में विनिमय दर पर लगी सीमा हटाई और यह देखते-ही-देखते 269 के भाव पर पहुंच गया. मई में यह 280-290 रुपये के दायरे में भी रहा.

(एजेंसी इनपुट)

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