चीन के चक्कर में इमरान खान कर बैठे हैं ये बड़ी गलती, सिंध में बगावत की आग तेज
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चीन के चक्कर में इमरान खान कर बैठे हैं ये बड़ी गलती, सिंध में बगावत की आग तेज

सिंध की सरकार और नेताओं के साथ-साथ कई बलूच पार्टियां भी इस फैसले के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. अनुच्छेद 172 और 18वें संवैधानिक संशोधनों के आधार पर कानूनी लड़ाई लड़ने की भी तैयारी है.

इमरान खान, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री (फाइल फोटो).

इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) में इमरान खान (Imran Khan) सरकार सिंध (Sindh) या उसकी सरकार की सहमति के बिना चीन (China) सरकार की मांग पर सिंध से संबंधित बौद्ध और बुंदल के द्वीपों (Islands of Buddhoo and Bundal) पर एकतरफा कब्जा करने की कोशिश कर रही है. पाकिस्तान ऐसा सिर्फ रुपयों के लालच में नहीं कर रहा है बल्कि इसके पीछे चीन की बड़ी साजिश है. चीन पाकिस्तान के सहयोग से अरब सागर में विस्तार कर मजबूत होना चाहता है और इमरान खान उसके जाल में फंस कर बड़ी गलती कर बैठे हैं

  1. इमरान खान चीन के जाल में फंसते जा रहे हैं

    चीन अब सिंध के दो द्वीपों पर कब्जा कर रहा है

    इमरान खान सरकार के खिलाफ बगावत की आग तेज
  2.  

चीन लगातार पसार रहा पैर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने पिछले साल के चीन दौरे के दौरान सिंध और बलूचिस्तान के तट के साथ विभिन्न द्वीपों के विकास की इच्छा व्यक्त की थी. इस क्षेत्र में पैर जमाने के उद्देश्य से चीन ने आठ द्वीपों के विकास में अपनी सहभागिता पर सहमति भी दी थी. चीन अब बड़ी ही चालाकी से इन दोनों द्वीपों पर कब्जे की नियत से आगे बढ़ता दा रहा है. इन द्वीपों के विकास से संबंधित अधिकांश काम चीनी इंजीनियरों द्वारा ही किए गए हैं. इन्हीं में से  ग्वादर और कराची शिपयार्ड से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के काम भी शामिल हैं.

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चीन के इंजीनियर लगातार कर रहे काम
यदि कराची और ग्वादर में इसी गति से काम जारी रहता है, तो दुनिया अगले 3-4 वर्षों में अरब सागर में चीनी पनडुब्बी के ठिकानों को देखेगी. दो द्वीप, बौद्ध और बुंदल कराची व ग्वादर के विस्तार होंगे. इन द्वीपों की विकास योजना तैयार करने में ग्वादर और कराची शिपयार्ड में काम करने वाले चीनी इंजीनियरों की भागीदारी इसके स्पष्ट प्रमाण हैं. PIDA (पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण) के गठन के लिए राष्ट्रपति के अध्यादेश का उद्देश्य भी चीन की इस इच्छा को पूरा करने कि दिशा में उठाया गया कदम है.

सेना का सहारा लेंगे इमरान
इसकी पूरी संभावना है कि PIDA की अध्यक्षता कुछ उच्च रैंक वाले सैन्य अधिकारी करेंगे. इसका उद्देश्य किसी भी स्थानीय स्तर के विरोध का दमन करना होगा. क्योंकि पाकिस्तान सरकार को यह पता है कि सिंधी लोग अपने संसाधनों पर चीन के अतिक्रमण का निश्चित तौर पर विरोध करेंगे.

सिंध में आक्रोश
सिंध की सरकार और नेताओं के साथ-साथ कई बलूच पार्टियां भी इस फैसले के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. अनुच्छेद 172 और 18वें संवैधानिक संशोधनों के आधार पर कानूनी लड़ाई लड़ने की भी तैयारी है. पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 172 में प्रांतीय सरकार को एक प्रांत की संपत्ति का सही स्वामित्व प्रदान किए जाने का प्रावधान है. वहीं 18वां संशोधन राष्ट्रपति को राज्य से एक संसदीय गणराज्य में बदलकर एकतरफा निर्णय लेने से रोकता है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठ सकती है आवाज
हालांकि, इसकी पूरी संभावना कि ये विरोध या कानूनी लड़ाई सिंध के लोगों को कोई न्याय नहीं दिलवा पाएगा. उनकी संपत्ति पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है. इमरान खान हमेशा से ऐसी विरोध की आवाजों पर चुप्पी साधते रहे हैं. उनकी राजनीतिक अयोग्यता के कारण ही चीन सिंध के लोगों से दो द्वीपों को छीनने के मकसद में लगातार आगे बढ़ रह है. लेकिन चीन की गलतफहमी है कि यहां वह ज्यादा नियंत्रण कर पाएगा क्योंकि लोगों में बेहद आक्रोश है. संभवत: अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चीन की इस योजना का संज्ञान ले सकता है और चीन के विस्तारवाद के खिलाफ आवाज उठ सकती है.

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