Pakistan Economy Forecast: विश्व बैंक (World Bank) ने हाल ही में पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था करार दिया है. WB की ग्लोबल इकॉनमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में पाकिस्तान की आर्थिक विकास की दर 1.7% रहेगी. दम तोड़ती पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए अभी एक ऐसा दावा किया गया था जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
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World conomy forecast: साल 2023 में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो हमेशा की तरह अमेरिका इस बार भी नंबर 1 बना हुआ है. उसके बाद चीन, जापान, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा का नाम है. दूसरी ओर दुनिया के सबसे दमतोड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर कराह रहे देशों की बात करें पाकिस्तान का नाम अग्रिम पंक्ति में होगा. हाल ही में कुछ वैश्विक संगठनों ने पाकिस्तान की इकॉनमी को लेकर ऐसी बात कही गई है जिसके बारे में सुनकर पहली बार में तो आपको भी यकीन नहीं होगा.
कुछ आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान करीब 50 साल बाद दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की लिस्ट में छठे पायदान पर होगा. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे बड़े देश भी इससे पीछे रह जाएंगे. हालांकि ये अलग बात है कि आज के जैसे हालात को देखकर तो ये जरा भी नहीं लगता कि इतने लंबे समय तक पाकिस्तान का वजूद भी बच पाएगा. खैर यहां बात अर्थव्यवस्था के जानकारों के रिसर्च और एनलिसिस की तो कहा जा रहा है कि अगले कुछ सालों में भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन सकता है.
पाकिस्तान की जीडीपी को लेकर चौंकाने वाला दावा
World Of Statistics ने दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं के 2075 तक के अनुमानित आंकड़े जारी किए हैं. इनके मुताबिक, भारत दुनिया की इकोनॉमी दूसरी सबसे बड़ी ताकत बन जाएगी. लेकिन इसमें एक चौंकाने वाला आंकड़ा भी पेश किया गया है, जो दिवालिया होकर खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़ा हुआ है.
इन देशों से आगे निकलेगी PAK इकोनॉमी
इसी रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक अपने लोगों को राशन और दवाई देने में नाकाम मुल्क फ्यूचर में जापान, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों को भी पीछे छोड़ देगा. पाकिस्तान 2075 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की लिस्ट में छठे पायदान पर होगा. रूस, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देश भी इससे पीछे रह जाएंगे.
Goldman Sachs ने जताया था यही अनुमान
आपको बताते चलें कि इससे पहले ब्रोकरेज हाउस Goldman Sachs ने भी अपने एक रिसर्च पेपर में कुछ ऐसा ही अनुमान लगाया था. अपनी स्टडी के लिए Goldman Sachs ने एक व्यापक आर्थिक मॉडल का इस्तेमाल करते हुए 104 देशों के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ का अध्यन करते हुए जो अनुमान लगाया था. उस पर भी किसी को यकीन नहीं हुआ था. पाकिस्तान की आर्थिक तंगी की वजह से उसके चीन का गुलाम बनने की अटकलें लगाई जा रही है. ऐसे में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उसके उभरने का अनुमान लगाना लोगों को हजम नहीं हो पा रहा है. यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि इन वैश्विक संस्थाओं का पाकिस्तान की इकॉनमी के बारे में ऐसा पूर्वानुमान लगाने का फैसला कितना यथार्थवादी है?
पाकिस्तान कैसे इतना आगे बढ़ सकता है?
दरअसल 1960 के दशक की शुरुआत में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वॉल्ट रोस्टो ने कहा था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ने के लिए तैयार है. उसके बाद अभी तक की पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य स्थितियों को ध्यान में रखकर ये ताना बना बुना गया है. आज के पाकिस्तान में सत्ता की खींचतान के अलावा अनगिनत समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं. वहीं पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक गोल्डमैन सैक्स की रिसर्च इन अंतर्निहित अनिश्चितताओं को संबोधित नहीं करती है और इसे सावधानी से लिया जाना चाहिए.
'मुंगेरी लाल के हसीन सपने'
दरअसल पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज है. वो सर से लेकर पैर तक कर्ज में डूबा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के मुताबिक जनवरी 2023 तक पाकिस्तान का कुल ऋण स्टॉक (Debt Stock) 55 ट्रिलियन रुपये था, जो अब और आगे बढ़ गया है. पाकिस्तान में महंगाई अभी भी आसमान छू रही है. आटा, चावल, गैस सिलेंडर और दवाई तक के लिए लोगों के पास पैसे नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान के लिए ऐसा कुछ अच्छा होना फिलहाल मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखता है.
भारत बनेगा दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था
गोल्डमैन सैक्स ने ये पूर्वानुमान भी लगाया गया है कि 2075 तक अमेरिका की जीडीपी को पीछे छोड़कर भारत की इकोनॉमी 52.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. अनुमान लगाया कि इस दौरान केवल चीन की अर्थव्यवस्था भारत से अधिक होगी, जो 57 ट्रिलियन डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है. वहीं ब्रोकरेज फर्म रिसर्च से संबंद्ध इकॉनमिस्ट के मुताबिक भारत की वर्कफोर्स की मौजूदा और आगामी हालातों से भारत की अर्थव्यस्था को और मजबूती मिलेगी.