आजकल मार्केट में आईफोन क्लोन्स का ट्रेंड बढ़ गया है, ऐसा इसलिए है क्योंकि इनकी कीमत ₹10000 से लेकर ₹15000 के बीच होती है और देखने में यह हूबहू असली आईफोन की तरह नजर आते हैं. दिल्ली एनसीआर में ऐसी कई मार्केट है जहां से इन्हें खरीदा जा सकता है लेकिन अब असली आईफोन की जगह पर कुछ स्टोर पर इन्हें ही बचा जा रहा है और तगड़ा मुनाफा कमाया जा रहा है. दरअसल आईफोन के बारे में अगर किसी यूज़र को ठीक तरह से जानकारी ना हो तो उन्हें भी इस स्कैम में फसाया जा सकता है. कुछ यूजर्स तो ऐसे होते हैं जिनके पास असल में आईफोन का क्लोन मॉडल होता है और इसकी जानकारी उन्हें कुछ महीने फोन इस्तेमाल करने के बाद लगती है और तब तक उनके पैसे डूब चुके होते हैं. अगर आप भी एक महंगा वाला आईफोन मॉडल खरीदने जा रहे हैं या फिर हाल ही में कोई आईफोन खरीदा है और आपको शक है कि आपका वाला आईफोन मॉडल भी क्लोन हो सकता है तो आज हम आपको कुछ ऐसे स्टेप्स बताने जा रहे हैं जिनकी बदौलत आप पता लगा सकते हैं कि आपका वाला मॉडल असली है या नकली.
रियर पैनल को चेक करना सबसे जरूरी होता है क्योंकि नकली आईफोन में यह प्लास्टिक का बना रहता है जबकि असली वाले मॉडल में जो बैक पैनल है उसे ग्लास मटीरियल से तैयार किया जाता है जिसे कहीं ज्यादा प्रीमियम नजर आता है.
रिफ्रेश रेट एक ऐसा तरीका है जिसे चेक करके आप 1 मिनट में जा सकते हैं कि आईफोन का डिस्प्ले असली है या नकली और रिफ्रेश रेट अगर बहुत ज्यादा स्लो हो तो आपको समझ जाना चाहिए कि मॉडल नकली है.
कैमरा से आप किसी भी आईफोन की असलियत जान सकते हैं क्योंकि आईफोन के कैमरा को बेहतरीन माना जाता है और अगर आपके वाले मॉडल से अच्छी क्वालिटी वाली फोटोस नहीं क्लिक हो पा रही हैं तो समझ जाइए कि यह नकली मॉडल है.
आईफोन अगर जरूर से ज्यादा हैंग हो रहा है तो यह चिंता का विषय है क्योंकि असली आईफोन शायद कभी हैंग ही नहीं करता है लेकिन नकली मॉडल में समस्या देखने को मिलती है ऐसे में आपको समझ जाना चाहिए कि यह मॉडल नकली है.
अगर आप आईफोन इस्तेमाल करते हैं तो इसकी बैटरी यह बताने का एक अच्छा जरिया है कि यह असली है या नकली. अगर आपका आईफोन चार्ज करने के बाद सिर्फ कुछ ही घंटे तक चलता है तो मन कर चलिए कि आप क्लोन वाला मॉडल इस्तेमाल कर रहे हैं.
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