Aman Sehrawat weight loss: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के पहलवान अमन सहरावत की कहानी सिर्फ खेल भावना और जीत की नहीं है, बल्कि एक ऐसी चुनौती से लड़ने की भी है जिसने उनकी दृढ़ता और हौसले की परीक्षा ली. सेमीफाइनल में हारने के बाद अमन के सामने 57 किलो भार वर्ग के लिए क्वालीफाई करने की चुनौती थी और उसके पास सिर्फ 10 घंटे का समय था. इस दौरान उन्हें 4.6 किलो वजन कम करना था.
अमन सहरावत के लिए 57 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीतना आसान नहीं था. सेमीफाइनल में हार के बाद उनके सामने एक और बड़ी चुनौती थी. उनके वजन ने 61.5 किलो को छू लिया था, जो कि निर्धारित वजन सीमा से 4.6 किलो अधिक था. इस मुश्किल घड़ी में अमन के कोच जगमंदर सिंह और वीरेंद्र दहिया ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया.
वजन कम करने की जंग शुरू हो गई. अमन ने डेढ़ घंटे तक मैट पर खड़े रहकर कुश्ती की, जिससे पसीना निकलने लगा और वजन कम होने में मदद मिली. इसके बाद एक घंटे तक गर्म पानी के टब में बैठकर शरीर से पानी निकाला गया. रात 12 बजे के बाद अमन जिम पहुंचे और लगातार एक घंटे तक ट्रेडमिल पर दौड़ लगाई. इसके बाद 30 मिनट का आराम करके फिर से पांच बार पांच-पांच मिनट के लिए सौना लिया. लेकिन अभी भी 900 ग्राम वजन कम करना बाकी था.
समय कम होता जा रहा था और वजन अभी भी ज्यादा था. कोचों ने हल्की-फुल्की दौड़ और सौना का सहारा लिया. कई बार 15-15 मिनट की दौड़ के बाद आखिरकार अमन का वजन 56.9 किलो पर आ गया, जो कि निर्धारित वजन से सिर्फ 100 ग्राम कम था.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इतने कम समय में इतना ज्यादा वजन कम करना सेहत के लिए खतरनाक नहीं होता? विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक से ज्यादा वजन कम करने से शरीर को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. जैसे- दिल की धड़कन बढ़ना, ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी, कमजोरी और डिहाइड्रेशन. इसलिए किसी भी तरह का डाइट या एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
अमन की यह कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं है, बल्कि हर उस इंसान की है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर मुश्किल का सामना करता है. इतने कम समय में इतना ज्यादा वजन कम करना आसान नहीं होता है और यह सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है. लेकिन अमन ने हार नहीं मानी और अपनी जीत हासिल की.
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