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अथक मेहनत से पहले ही प्रयास में लिख दी सफलता की नई इबारत, भाई की सलाह पर मेडिकल छोड़ चुनी UPSC की राह

आज हम आपको उत्तर प्रदेश के आध्यात्मिक शहर वाराणसी की एक ऐसी महिला अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी किस्मत को फिर से लिखने का फैसला किया. आईएएस अधिकारी अर्तिका शुक्ला उन सभी के लिए प्रेरणा हैं, जो पारंपरिक तरीकों से परे सपने देखने का साहस करते हैं.

महत्वाकांक्षा की जड़ें

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महत्वाकांक्षा की जड़ें

अर्तिका का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां अपने पेशे के प्रति समर्पण शुरू से ही पैदा हो गया था. उनके पिता डॉ ब्रिजेश शुक्ला एक प्रतिबद्ध डॉक्टर थे. इसके अलावा उनकी मां लीना शुक्ला उनके घर की रीढ़ थीं. वहीं, उनके बड़े भाई गौरव और उत्कर्ष शुक्ला ने प्रमाणित किया है कि पारिवारिक मूल्य तात्कालिक घर-परिवार से भी आगे तक विस्तारित थे. गौरव ने 2012 में प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी और उत्कर्ष भारतीय रेल परिवहन सेवा में अधिकारी हैं.

 

मेडिकल की डिग्री हासिल की

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मेडिकल की डिग्री हासिल की

अर्तिका की प्रारंभिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जॉन स्कूल, वाराणसी में हुई. कई युवाओं की तरह वह भी अपने पिता के पेशे से प्रभावित थीं. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह डॉक्टर बनने की राह पर चल पड़ीं. उन्होंने नई दिल्ली के मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद अर्तिका ने एमडी के लिए पीजीआईएमआर में दाखिला लिया.

ऐसे चुनी यूपीएससी की राह

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ऐसे चुनी यूपीएससी की राह

अपनी मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने लोक नायक अस्पताल में इंटर्नशिप की. जब वह अपनी एमडी की पढ़ाई में तल्लीन थी, तब यह उनके भाई ने उन्हें यूपीएससी करने की सलाह दी, जिसने उसके करियर की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया. 

तैयारी के लिए चुना सेल्फ स्टडी का विकल्प

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तैयारी के लिए चुना सेल्फ स्टडी का विकल्प

साल  2014 में अपनी मेडिकल आकांक्षाओं को दरकिनार करते हुए अर्तिका ने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया. अर्तिका ने इसकी तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी और अपने भाइयों की मदद पर भरोसा किया.

 

बेहद कम समय में सपने को बनाई हकीकत

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बेहद कम समय में सपने को बनाई हकीकत

दृढ़ संकल्प और एक साल की अथक मेहनत के साथ साल 2015 अर्तिका के लिए एक ऐतिहासिक साबित हुआ. उन्होंने न केवल अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली, बल्कि आश्चर्यजनक रूप से ऑल इंडिया फोर्थ रैंक भी हासिल की.

 

निजी जीवन की नई शुरुआत

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निजी जीवन की नई शुरुआत

उनकी पेशेवर उपलब्धियों के अलावा साल 2015 में उनके जीवन में एक और खूबसूरत अध्याय की शुरुआत भी हुई. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपनी ट्रेनिंग के दौरान वह जसमीत सिंह संधू से मिली, जिसके बाद दिसंबर 2017 में दोनों ने जिंदगी भर साथ चलने का फैसला लिया.

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