भारत में भगवान गणेश के कई मंदिर स्थापित हैं, जहां भक्त अपनी मुरादे लेकर जाते हैं. लेकिन इनमें से पांच ऐसे मुख्य मंदिर हैं जहां पर भगवान गणेश अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के अलावा उनकी हर मनोकामना को भी पूर्ण करते हैं. चलिए विस्तार में भगवान गणेश के इन पांच मंदिरों के बारे में विस्तार में जानें.
भगवान गणेश का सिद्धिविनायक मंदिर इतना प्रचलित है कि यहां पर लोग देश और विदेश से भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. 1801 में बनवाया गया यह मंदिर अब तक कितने ही भक्तों की मुराद को पूरा करता आया है. साथ ही भगवान गणेश अपने भक्तों की यहां पर मुराद भी पूरी जरूर करते हैं.
भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में है. यह मंदिर 272 फीट ऊंचे पहाड़ पर बना हुआ है. एक मान्यता के अनुसार रावण के वध के बाद श्री राम ने विभीषण को भगवान रंगनाथ की मूर्ति भेट स्वरूप दी थी. उन्होंने विभिषण से कहा था कि ध्यान रखना कि इस मूर्ति को जहां रख दोगे वह वहीं स्थापित हो जाएगी. जिसके बाद विभीषण इस रंगनाथ की मूर्ति को लंका ले जाने लगे. रास्ते में उन्हें कावेरी नदी में स्नान करने का मन किया. पर वह मूर्ति को नीचे नहीं रख सकते थे तभी वहां पर भगवान गणेश चरवाहे के रूप में आ गए. विभीषण ने चरवाहे के कहने पर मूर्ति उनको दे दी पर भगवान गणेश ने रंगनाथ की मूर्ति नीचे रख दी जिसके बाद रंगनाथ मंदिर वहीं पर स्थापित हो गया.
यह मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थापित है. इस मंदिर का निर्माण कुलोतुंग चोला के द्वारा किया गया था. जिसे 14वीं शताब्दी में विजयनगर के साम्राज्य के शासकों ने विस्तार करवाया. यहां पर भक्त दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते हैं.
देश और दुनिया से यहां पर भक्त भगवान गणेश के त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन करने के लिए आते हैं. वहीं गणेश चतुर्थी के दिन यहां हर साल भव्य मेला लगता है. यहां पर भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं.
महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर के अलावा पुणे का श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर काफी प्रसिद्ध है. यह मंदिर लोगों के बीच में वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि पुणे के दगडूशेठ हलवाई के बेटे की प्लेग की वजह से मौत हो गई थी. जिसके बाद सेठ ने यहां पर यह मंदिर 1893 में बनवाया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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