Gravity and Mass Relationship: विज्ञान कहता है कि गुरुत्वाकर्षण और द्रव्यमान का रिश्ता चोली-दामन जैसा है. बिना द्रव्यमान के गुरुत्वाकर्षण का अस्तित्व नहीं हो सकता! किताबों में हम यही पढ़ते आए हैं. महानतम वैज्ञानिकों में शुमार सर आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) और अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) ने गुरुत्वाकर्षण और द्रव्यमान पर आधारित महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए हैं.
अब एक वैज्ञानिक ने उन सिद्धांतों को ही चुनौती दे डाली है. इनमें आइंस्टीन का 109 साल पुराना सामान्य सापेक्षता सिद्धांत (General Theory of Relativity) भी शामिल है. हंट्सविले में अलबामा विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिक रिचर्ड लियू का कहना है कि गुरुत्वाकर्षण का अस्तित्व बिना द्रव्यमान के भी हो सकता है. लियू की स्टडी सीधे तौर पर डार्क मैटर जैसी रहस्यमय चीज को खारिज करती है.
कॉस्मोलॉजी के लैम्ब्डा-सीडीएम मॉडल के अनुसार, ब्रह्मांड में 5% साधारण पदार्थ, 26.8% डार्क मैटर और 68.2% डार्क एनर्जी है. डार्क मैटर एक काल्पनिक, अदृश्य द्रव्यमान है जो ब्रह्मांड के कुल द्रव्यमान का 85 प्रतिशत हिस्सा माना जाता है. मूल रूप से इसे बेहद तेज गति से घूमती हुई, एक साथ रहने वाली आकाशगंगाओं को समझाने के लिए प्रस्तुत किया गया था. चूंकि यह प्रकाश से प्रतिक्रिया नहीं करता, इसलिए डार्क मैटर अभी तक एक रहस्य है. कई वैज्ञानिकों ने मौजूदा सिद्धांतों में खामियों को दूर करने के तरीके के रूप में डार्क मैटर को इस्तेमाल करने से बचने के लिए तमाम अजीब प्रस्ताव रखे हैं.
लियू की स्टडी कहती है कि आकाशगंगाओं और अन्य पिंडों को डार्क मैटर ने बांधकर नहीं रखा. उसकी जगह ब्रह्मांड में 'टोपोलॉजिकल दोषों' की पतली, खोल जैसी परतें हो सकती हैं, जो बिना किसी द्रव्यमान के गुरुत्वाकर्षण को जन्म देती हैं. यह अभी तक की हमारी समझ से एकदम जुटा थ्योरी है.
लियू 'आइंस्टीन क्षेत्र समीकरणों' का एक और हल खोजने निकले थे. ये टाइम-स्पेस के कर्वेचर को उसके भीतर पदार्थ की उपस्थिति से जोड़ते हैं.. आइंस्टीन ने 1915 के अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में कहा था कि 'स्पेस-टाइम ब्रह्मांड में पदार्थ के बंडलों और विकिरण की धाराओं के इर्द-गिर्द घूमता है, जो उनकी ऊर्जा और गति पर निर्भर करता है.'
वह ऊर्जा, आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 में द्रव्यमान से संबंधित है. सैद्धांतिक रूप से, किसी वस्तु का द्रव्यमान उसकी ऊर्जा से जुड़ा होता है, जो स्पेस-टाइम को मोड़ती है - और स्पेस-टाइम के इस कर्वेचर को ही आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण के रूप में बताया है.
आइंस्टीन की थ्योरी न्यूटन के 17वीं सदी के अनुमान से कहीं ज्यादा परिष्कृत है. न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण को द्रव्यमान वाली दो वस्तुओं के बीच एक बल के रूप में बताया था. दूसरे शब्दों में, गुरुत्वाकर्षण, द्रव्यमान से अटूट रूप से जुड़ा हुआ लगता है. लेकिन लियू कहते हैं कि ऐसा नहीं है!
लियू का कहना है कि वह यथास्थिति से तंग आ चुके थे, खासतौर से डार्क मैटर से, जिसका पिछले 100 सालों में कोई सीधा सबूत नहीं मिला है. उनकी थ्योरी में खोल जैसे आकार वाले टोपोलॉजिकल डिफेक्ट्स शामिल हैं, जो पदार्थ के बहुत उच्च घनत्व वाले अंतरिक्ष के बहुत सघन क्षेत्रों में हो सकते हैं. इनके भीतर नकरात्मक द्रव्यमान के भीतर सकरात्मक द्रव्यमान की एक पतली परत होती है.
दोनों द्रव्यमान एक-दूसरे को कैंसिल कर देते हैं जिससे दोनों परतों का कुल द्रव्यमान जीरो हो जाती है. लेकिन जब कोई तारा इस खोल पर मौजूद होता है, तो उसे एक बड़े गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव होता है जो उसे खोल के केंद्र की ओर खींचता है. लियू की स्टडी Royal Astronomical Society के मंथली नोटिसेज में छपी है.
लियू कहते हैं, 'मेरे रिसर्च पेपर का तर्क यह है कि कम से कम इसमें बताए गए गोले द्रव्यमानहीन हैं.' अगर उनके विवादास्पद सुझावों में कोई दम है, तो लियू कहते हैं, 'फिर डार्क मैटर की इस अंतहीन खोज को जारी रखने की कोई ज़रूरत नहीं है.'
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