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Himachal MLA Disqualification: हिमाचल के सियासी संकट के वो 6 चेहरे, जिन्हें स्पीकर ने अयोग्य घोषित किया

Himachal Congress Crisis: हिमाचल प्रदेश में शिमला की शांत वादी सियासी तूफान की चपेट में है. कांग्रेस (Congress) अपना कुनबा संभालने की कोशिशों में जुटी है. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को ये कलह भारी पड़ सकती है. इस बीच, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने 6 बागी विधायकों पर कार्रवाई की है. 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के इन 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद हार गए थे. आइए जानते हैं कि जिन 6 विधायकों की विधायकी दलबदल कानून के चलते गई है, वे कौन हैं?

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बता दें कि सुधीर शर्मा धर्मशाला से विधायक हैं, जो अयोग्य घोषित हो चुके हैं. वह चार बार विधायक हैं और मंत्री रह चुके हैं. सुधीर शर्मा 1991 से कांग्रेस के साथ हैं. सुधीर शर्मा ने इससे पहले 2003, 2007 और 2012 में चुनाव जीता. सुधीर शर्मा वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में मिनिस्टर थे. वह आवास एवं शहरी विकास मंत्री रहे हैं.

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राजिंदर राणा सुजानपुर से विधायक हैं. उनपर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई हुई है. राजिंदर राणा बीजेपी के बागी हैं. राजिंदर राणा ने 2012 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और 2012 में सुजानपुर से निर्दलीय चुनाव लड़कर इलेक्शन जीत लिया था. बाद में राजिंदर राणा ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. 2017 में राजिंदर राणा ने पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को हराया था. हाल ही में राजिंदर राणा ने सीएम सुक्खू पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 5 लाख नौकरियां देने का वादा पूरा नहीं किया है.

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रवि ठाकुर लाहौल एंड स्पीति से विधायक हैं, जो अयोग्य घोषित हो चुके हैं. रवि ठाकुर दो बार से विधायक हैं. रवि ठाकुर राजनीति परिवार से आते हैं. रवि ठाकुर की माता भी कांग्रेस विधायक थीं. रवि ठाकुर कांग्रेस सेवा दल के चेयरमैन रह चुके हैं. ठाकुर ने हाल ही में लद्दाख के साथ लाहौल और स्पीति के सीमा निर्धारण का मुद्दा उठाया था. इस मुद्दे को लेकर ठाकुर ने राज्यपाल को खत भी लिखा था.

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चैतन्य शर्मा गगरेट से कांग्रेस विधायक हैं. उनपर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई हुई है. चैतन्य शर्मा चीफ सेक्रेटरी राकेश शर्मा के बेटे हैं. चैतन्य शर्मा ने 2020 में पहली बार जिला परिषद का चुनाव जीता था. फिर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले चैतन्य शर्मा कांग्रेस में शामिल हुए और विधायक बन गए. चैतन्य शर्मा युवाओं के लिए नौकरियों का मुद्दा उठाते रहे हैं. चैतन्य शर्मा युवा शक्ति पराक्रम नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं.

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इंदर दत्त लखनपाल तीन बार से विधायक हैं, जो अयोग्य घोषित हो चुके हैं. इंदर दत्त लखनपाल 1997 में पहली बार काउंसलर चुने गए थे. इंदर दत्त लखनपाल 2012 से लगातार तीन बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं. 2022 के चुनाव में इंदर दत्त लखनपाल ने बीजेपी की माया शर्मा को 13 हजार 792 वोटों के अंतर से हराया था.

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देवेंद्र भुट्टो हिमाचल प्रदेश की कुटलेहड़ सीट से विधायक हैं. उनपर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई हुई है. देवेंद्र भुट्टो ने 2022 के चुनाव में बीजेपी वीरेंद्र कंवर को 7  हजार 579 वोटों से हराया था. देवेंद्र भुट्टो कांग्रेस से पिछले करीब 2 दशकों से जुड़े हुए हैं. देवेंद्र भुट्टो पब्लिक अंटरटेकिंग कमेटी के मेंबर रह चुके हैं.

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