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Bangladesh Crisis: बवाल बांग्लादेश में, लेकिन असर आपकी जेब पर....कपड़े, जूते, तेल समेत ये सामान हो सकते हैं महंगे, जानिए भारत की इकोनॉमी पर कैसे डालेगा असर

Bangladesh Crisis Impact On India: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश धधक रहा है. हिंसा की आग पूरे देश को अपने लपेटे में ले रही है. भारत-बांग्लादेश के बीच 4096.70  किमी. लंबा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है.  आयात-निर्यात से लेकर लंबा-चौड़ा निवेश है. ऐसे में ये तय है कि बांग्लादेश की हिंसा का असर भारत पर भी पड़ेगा.  

क्यों धधक रहा बांग्लादेश

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क्यों धधक रहा बांग्लादेश

How Bangladesh Violence Impact India: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश धधक रहा है. हिंसा की आग पूरे देश को अपने लपेटे में ले रही है. 15 सालों तक बांग्लादेश पर राज करने वाली शेख हसीना को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. जान बचाने के लिए उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा. शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत पहुंच गईं. आरक्षण विवाद को लेकर बांग्लादेश में भड़की हिंसा को लेकर भारत में भी हलचल शुरू हो गई है. भारत-बांग्लादेश के बीच 4096.70  किमी. लंबा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विरासत है, आयात-निर्यात से लेकर लंबा-चौड़ा निवेश है. ऐसे में ये तय है कि बांग्लादेश की हिंसा का असर भारत पर भी पड़ेगा.  

भारत पर बांग्लादेश हिंसा का असर

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 भारत पर बांग्लादेश हिंसा का असर

बांग्लादेश के बिगड़े हालत के बीच कारोबार ठप होने से लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. आयात-निर्यात प्रभावित हो रहा है. हिंसा के हर गुजरते दिन के साथ 150 करोड़ रुपये से अधिक का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट प्रभावित हो रहा है. अगर लंबे वक्त तक ऐसे ही हालात बने रहे तो स्थिति और बिगड़ सकती है. अर्थव्यवस्था इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा. असर सिर्फ अर्थव्यवस्था पर नहीं आपकी जेब पर भी पड़ने वाली है. बांग्लादेश से आयात होने वाली चीजों की कीमतों पर असर दिखने लगेगा. वहीं हालात खराब होने पर निर्यात पर असर दिखना तय है.  

बांग्लादेश हिंसा से कितना नुकसान

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 बांग्लादेश हिंसा से कितना नुकसान

हिंसा की वजह से बांग्लादेश में कारोबार ठप हो गया है. फैक्ट्रियां बंद है. जो आर्डर उनके पास है वो उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं. भारत और बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात प्रभावित हो रहा है. रेल और फ्लाइट सेवाएं बंद है, ऐसे में आवाजाही नहीं होने से कारोबार पर असर पड़ रहा है. गोदाम में माल तैयार है, लेकिन हिंसा के चलते उसे एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं. मालिकों को डर है कि अगर गोदाम से माल निकालकर भेजा तो आगजनी और हिंसा के चलते उन्हें नुकसान हो सकता है. बांग्लादेश के सबसे बड़े बंदरगाह चटगांव पर कंटेनरों में सामान फंसा हुआ है. अगर वहां स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले दिनों में चीजों की कीमत बढ़ने लगेगी.  

महंगाई का बोझ आप पर बढ़ेगा

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महंगाई का बोझ आप पर बढ़ेगा

 

बांग्लादेश हाई क्विलिटी रेडीमेड गारमेंट तैयार करने के लिए मशहूर है, सस्ते लेबर और कच्चा माल के जरिए दुनियाभर की बड़ी कंपनियां बांग्लादेश में अपने कपड़े तैयार करवाती है. भारत के भी बड़े-बड़े ब्रांड्स या तो बांग्लादेश में कपड़े तैयार करवाते हैं या फिर वहां से कच्चा माल मंगवाते हैं. ऐसे में इस हिंसा का असर उनके कारोबार और उन चीजों पर पड़ेगा, जो बांग्लादेश से आते हैं. भारत बांग्लादेश से कपड़ा, रेडीमेंट गारमेंट्स, जूट, जूट के बने सामान, चमड़े के बने सामान, फार्मास्यूटिकल्स, चीनी मिट्टी के बने बर्तन, कृषि उत्पाद, मछलियां , सब्जियां, तेल आदि आयात करता है.  ऐसे में इस हिंसा के चलते आयात प्रभावित हो सकता है, जिसका असर इन चीजों की कीमतों पर दिख सकता है. 

भारत बांग्लादेश को क्या-क्या बेचता है

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 भारत बांग्लादेश को क्या-क्या बेचता है

 

भारत बांग्लादेश को 6052 कमोडिटी का निर्यात करता है. भारत के कुल निर्यात का 12 फीसदी अकेले बांग्लादेश से होता है. चावल, रुई, सूती कपड़ा, गेंहू, मसाले, चीनी, फल बेचता है. बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति जल्दी शांत नहीं हुई तो भारत में कई चीजों की कीमतें बढ़ सकती है.  बता दें कि दोनों ही देशों के बीच करीब 12.9 अरब डॉलर का कारोबार होता है.  

बढ़ सकती है कीमत

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 बढ़ सकती है कीमत

 

डिमांड से कम आपूर्ति के चलते कीमतों पर असर दिख सकता है, खासकर उन चीजों पर जो बांग्लादेश से आते हैं. इसके अलावा भारत की कई कंपनियों का बांग्लादेश में बड़ा निवेश है. इस हिंसा के चलते उन कंपनियों की भी चिंताएं बढ़ गई है.  देश के मौजूदा हालात का असर वहां चल रही परियोजनाओं पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है. जिसके चलते निवेशकों के सामने बड़ा खतरा पैदा हो गया है. भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश के पावर, टेक्सटाइल्स, फार्मासुटिकल्स जैसे सेक्टरों में मोटा निवेश किया है, लेकिन वहां भड़की हिंसा ने हालात बदल दिए हैं. कंपनियों को अपने निवेश की चिंता सताने लगी है.    

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