Who Was That Indian Cinema Superstar: आपने कई स्टार्स के बारे में सुना होगा, जिन्होंने 50 या 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. लेकिन आज हम आपको भारतीय सिनेमा के एक ऐसे सुपरस्टार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 100 या 200 नहीं बल्कि 900 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 700 फिल्मों में वो लीड रोल में नजर आए. इतना ही नहीं, इस सुपरस्टार ने अपने दौर की लगभग सभी बड़ी एक्ट्रेसेस के साथ काम किया. इस सुपरस्टार की हर साल औसतन 39 फिल्में रिलीज हुआ करती थी, जो एक बड़ा रिकॉर्ड है. उनकी मेहनत और डेडिकेशन ने उन्हें इंडस्ट्री का आइकन बना दिया. फिल्मों के इस सुपरस्टार ने हर किरदार में जान डाल दी, चाहे वो एक्शन हो, कॉमेडी हो, या इमोशनल रोल, हर जगह उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. चलिए बताते हैं कौन है वो सुपरस्टार?
हिंदी सिनेमा से लेकर साउथ सिनेमा तक... ऐसे कई दिग्गज कलाकार हैं, जो दशकों से इंडस्ट्री से लेकर अपने फैंस के दिलों पर राज करते आ रहे हैं. इन दिग्गजों ने अपने लंबे चौड़े करियर में कई फिल्में कर अपना शतक बनाया. किसी ने 100 फिल्में की तो किसी ने 200, तो किसी ने 300. लेकिन आज हम आपको जिस सुपरस्टार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारतीय सिनेमा के पहले ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने 900 फिल्मों में काम किया. उनकी हर साल 39 फिल्में रिलीज हुआ करती थी, जिनमें से ज्यादातर हिट हुआ करती थीं. चलिए जानते हैं कौन था वो भारतीय सिनेमा का सुपरस्टार?
आज हम यहां जिस एक्टर के बारे में आप सभी को बताने जा रहे हैं उन्होंने कई दशकों तक साउथ फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया है. हर साल 39 फिल्में रिलीज कर रिकॉर्ड कायम करने वाले ये सुपरस्टार प्रेम नजीर थे. इन्हीं की वजह से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को पूरे देश में पहचान मिली थी. इन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में कीं, सबसे ज्यादा डबल रोल और ट्रिपल रोल किए और एक ही हीरोइन के साथ करीब 130 फिल्में कीं, जिनका नाम था शीला. इनकी एक्टिंग इतनी रियलिस्टिक होती थी कि हर फिल्ममेकर उन्हें लेकर फिल्म बनाना चाहता था.
प्रेम नजीर ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए हैं. जिनमें से एक था एक साल उनकी 10 या 20 नहीं, बल्कि 39 फिल्में रिलीज हुई थीं और ये बात साल 1979 की है. 7 अप्रैल, 1927 को केरल में जन्में प्रेम नजीर दो भाईयों और छह बहनों के बीच बड़े हुए थे. कदीनामकुलम से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कॉलेज के दिनों में थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया. कॉलेज के दौरान, प्रेम ने इतने सारे नाटकों में हिस्सा लिया कि उन्हें अभिनय में महारत हासिल हो गई. नजीर के करियर का पहला प्ले 1951 में हुआ 'द मर्चेंट ऑफ वेनिस' था, जिसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था.
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1952 में आई फिल्म 'मरूमकल' से की थी. उनका असली नाम अब्दुल खादिर था. इसके बाद उसी साल उनकी फिल्म 'विसाप्पिंटे विली' रिलीज हुई, जिससे उन्हें खूब पॉपुलैरिटी मिली. शुरुआती करियर में इन्होंने एक्सेल प्रोडक्शन, उदय और मैरीलैंड स्टूडियो के साथ जुड़कर कई फिल्मों में काम किया. इसी दौरान उनका नाम प्रेम नजीर पड़ा. प्रेम नजीर ने अपने 39 साल के फिल्मी करियर में करीब 900 फिल्मों में काम किया, जो एक बड़ा रिकॉर्ड है. साल 1979 में इनकी सबसे ज्यादा 39 फिल्में रिलीज हुईं और 1973 और 1977 में भी इनकी 30-30 फिल्में रिलीज हुई थीं.
इतना नहीं, प्रेम नजीर के नाम एक और बड़ा रिकॉर्ड है. जो है उन्होंने अपने करियर में लगभग 85 अदाकाराओं के साथ बड़े पर्दे पर काम किया है, जिनमें से एक शीला के साथ उन्होंने 130 फिल्मों में काम किया था और उनका ये रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. 70 के दशक तक प्रेम नजीर ने काफी रिकॉर्ड बनाए, लेकिन 1980 की शुरुआत में उनकी पॉपुलैरिटी कम हो गई. इस दौरान सुपरस्टार जयन, सुकुमारन और शंकर जैसे स्टार्स की एंट्री हुई, जिनके आने से उनका स्टारडम घट गया और वे साइड हीरो बन कर रह गए. प्रेम नजीर की मौजूदगी को मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की गोल्डन एज कहा गया.
प्रेम नजीर को मलयालम सिनेमा के गोल्डन एज लाने के लिए जाना जाता है और उनके फैंस की तादाद इतनी थी कि गिनना मुश्किल था. लेकिन अफसोस, एक फैन की लापरवाही उनकी मौत का कारण बन गई. प्रेम डायबिटिक थे और एक बार पेप्टिक अल्सर के बढ़ने पर अस्पताल में भर्ती हुए थे. जब इस बात की खबर फैली, तो उनके फैंस अस्पताल के बाहर जुट गए. उनमें से एक फैन खसरे से पीड़ित था, जो प्रेम से मिलने पहुंचा था और ये बीमारी प्रेम को भी हो गई. इसके चलते उन्होंने 62 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.
वहीं, अगर प्रेम नजीर की आखिरी ब्लॉकबस्टर फिल्म और आखिरी फिल्म की बात करें तो आखिरी बार प्रेम 1985 में आई फिल्म 'वेल्लारिक्का पत्तनम' में बतौर हीरो नजर आए थे. ये फिल्म इतनी हिट हुई कि एक साल तक थिएटर में चलती रह. प्रेम को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिल सकता था, लेकिन वो एक वोट से हार गए. वहीं, अगर उनकी आखिरी फिल्म के बारे में बात करें तो उनके करियर की आखिरी फिल्म साल 1990 में आई 'कड़ाथंडन अंबाड़ी' थी, जिसने सिनेमाघरों में ठीक ठाक परफॉर्म किया था.
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