ये राजा थे गुजरात के गोंडल रियासत के महाराजा भगवत सिंह. दिलचस्प बात ये है कि राजा बनने से पहले वो डॉक्टर बने. उन्होंने विदेश जाकर मेडिसिन की पढ़ाई की और उन्हें मास्टर ऑफ मेडिसिन और मास्टर ऑफ सर्जरी की उपाधियां भी मिलीं. अपने छोटे से गुजराती राज्य में गरीबों का मुफ्त इलाज करके उन्होंने वाकई बहुत सराहनीय काम किया.
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में 18वीं और 19वीं सदी में 217 छोटे-छोटे राज्य हुआ करते थे, गोंडल भी उन्हीं में से एक था. महाराजा भगवत सिंह का जन्म 24 अक्टूबर, 1865 को धोराजी में हुआ था, जो आज गुजरात के राजकोट जिले में आता है. वो गोंडल के ठाकुर यानी राजा संग्राम सिंह द्वितीय की तीसरी संतान थे. गोंडल रियासत की स्थापना जडेजा वंश ने की थी, जिसने जामनगर और कच्छ जैसे राज्यों पर भी राज किया था.
सन 1875 में, भगवत सिंह दस साल के थे जब उनके परिवार ने उन्हें प्राथमिक शिक्षा के लिए राजकोट भेज दिया. वहां उन्होंने राजकुमार कॉलेज में पढ़ाई की. ये कॉलेज अंग्रेजों द्वारा भारतीय राजकुमारों के लिए बनाया गया था. यहां उन्होंने आधुनिक जमाने में रहना सीखा और उनके दिमाग के दरवाजे नई दुनिया के लिए खुल गए. मेडिकल स्कूल से निकलने के बाद भगवत सिंह ने राज्य के लोगों की देखभाल और इलाज के लिए एक बेहतरीन ढांचा तैयार किया. उनके बारे में कहा जाता है कि वो मरीजों का इलाज करने के अलावा उनका हालचाल भी पूछने जाया करते थे.
1884 में, पढ़ाई पूरी करके वो गोंडल वापस लौटे राज्य की जिम्मेदारी संभालने के लिए. लेकिन इस समय तक उन्हें दुनिया घूमने का बड़ा शौक लग चुका था. उन्होंने फैसला किया कि इंग्लैंड जाना जरूरी है. लेकिन दरबार और उनकी मां ने इसका कड़ा विरोध किया. उस जमाने में परंपरावादी हिंदुओं का मानना था कि समुद्र पार जाने से इंसान "अपवित्र" हो जाता है. भगवत सिंह ने इन सबके बावजूद इंग्लैंड जाने की जिद की.
दिलचस्प बात ये है कि मेडिकल कॉलेज जाते ही उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला कर लिया. भगवत सिंह मेडिकल की पढ़ाई में अव्वल रहे और उन्होंने एमडी की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने राज्य के प्रशासन, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों में काफी सुधार किए. उनके कार्यकाल में पहला गुजराती शब्दकोश और विश्वकोश भी प्रकाशित हुआ. उन्होंने यूनिवर्सिटी लेवल की पढ़ाई तक लड़कों और लड़कियों दोनों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई.
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