Indian Ballistic Missile Defence Programme: भारत के पास मौजूद S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड सिस्टम समेत कुछ हथियार पाकिस्तान के परमाणु प्रतिरोध कार्यक्रम के लिए खतरा हैं. एक पाकिस्तान थिंक टैंक ने ये तमाम बाते कहीं हैं. थिंक टैंक का मानना है कि भारत की सेना के पास मौजूद S-400 और उसका BMD कार्यक्रम पाकिस्तान के लिए 'काल' से कम नहीं है.
पाकिस्तान का एक थिंक टैंक भारत की मिसाइल क्षमता में प्रगति पर नज़र रख रहा है. उसकी हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के पास मौजूद स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की वजह से भारतीय की सुरक्षा अभेद हो गई है. पाकिस्तानी थिंक टैंक का मानना है कि S-400 और अन्य एडवांस रक्षा तकनीकों की वजह से पाकिस्तानी इलाके में 600 किलोमीटर अंदर तक की चीजों का पता लगा सकता है. भारतीय सेना के बेड़े में मौजूद उसका यही सिस्टम पाकिस्तान की किसी भी मिसाइल का सामना करने में सक्षम है.
इस पाकिस्तानी थिंक टैंक का तर्क है कि S-400 और बीएमडी की पावर से भारत को 'सीमित युद्ध' का विकल्प खुला रखने की शक्ति मिल गई है. इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज इस्लामाबाद (ISSI) ने एक रिपोर्ट में लिखा है- 'डिफेंस सिस्टम के काम का पहला चरण पूरा हो चुका है. दूसरे फेज पर काम जारी है. S-400 को पहले से ही पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमाओं पर तैनात है. इस तरह पाकिस्तान की परमाणु ताकतों की प्रभावशीलता को कम करने के लिए भारत स्वदेशी और विदेशी प्रणालियों के मिश्रण को तैनात कर सकता है. जैसे-जैसे भारतीय BMD का दायरा और ताकत बढ़ रही है, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को खतरा बढ़ गया है.
पाकिस्तानी थिंक टैंक का मानना है कि एस-400 और बैलेस्टिक मिसाइल समेत भारत के कुछ हथियार पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के साथ-साथ अन्य सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए भी खतरा हैं.
भारत ने 24 जुलाई, 2024 को अपने बीएमडी सिस्टम के दूसरे चरण का सफल परीक्षण किया था. इसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है और इसने दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को वायुमंडल में ही मार गिराया था. इस टू-स्टेज BMD सिस्टम के डेवलपमेंट का काम कई सालों से चल रहा है.
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में दोनों परमाणु क्षमता संपन्न देशों के बीच टकराव के बाद रूसी S-400 सिस्टम को भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल किया गया था. भारत ने पहले ही इसकी तीन इकाइयों का संचालन शुरू कर दिया है, और बाकी दो सिस्टम डिलीवरी का इंतज़ार कर रहे हैं. IAF ने इस प्रणाली की ताकत का परीक्षण किया. इसके प्रदर्शन को क्षमताओं पर खरा माना और लगभग 100% रिजल्ट दिया. गौरतलब है कि भारतीय सेना (Army) ने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है. दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना अब आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ लगातार मजबूत हो रही है. इसके अलावा रूस के सहयोग से भारत के पास मौजूद S-400 एक एडवांस बीएमडी सक्षम सिस्टम है, जिसके राडार एक बार में 300 टारगेट को ट्रैक करने की ताकत रखते हैं. S-400 प्रणाली को भारतीय वायुसेना में शामिल करने के बाद पाकिस्तान खौफ में है.
संघर्ष बढ़ने की स्थिति में भारत BMD के जरिए किसी भी तरह के हमले को रोक सकता है. इसकी मिसाइलें एक बार में 60-80 टारगेट को निशाना बना सकती हैं. यह एक लक्ष्य के बाद दो मिसाइलें भेजती है. ये मिसाइल डिफेंस सिस्टम ‘ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट’ जैसे हमलों को नामुमकिन बना देते हैं जो पाकिस्तान ने 2019 में भारत के बालाकोट हवाई हमलों के जवाब में किया था.
पाकिस्तानी थिंक टैंक का मानना है - 'BMD की तैनाती से दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में भारत की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ गई है. ये संभावित रूप से भारत को अधिक आक्रामक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे परमाणु संघर्ष का जोखिम बढ़ सकता है. BMD सिस्टम से युद्ध के मैप पर भारत की पोजीशनिंग और मजबूत होगी. ऐसे में भविष्य में पाकिस्तान पर बालाकोट जैसे हमलों का खतरा बढ़ गया है. डर ये भी है कि भारत अपने BMD सिस्टम के सहारे पाकिस्तान के रणनीतिक सैन्य ठिकानों पर हमला करने का कैलकुलेटेड रिस्क ले सकता है ताकि पाकिस्तान का बैकअप खत्म करके उसकी रीढ़ तोड़ी जा सके.
भारत का BMD कार्यक्रम की शुरुआत साल 2000 में हुई. इसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ एक ऐसा मल्टी लेयर कवच बनाना था, जिसे कोई भेद न सके. इसके प्रमुख घटकों की बात करें तो ये पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) इंटरसेप्टर मिसाइल है. ये हाई-एल्टीट्यूड इंटरसेप्ट करने के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल है, जो कम-ऊंचाई पर भी मोर्चा संभाल सकती है. हाल ही में संपन्न हुए स्टेज-II AD एंडो-वायुमंडलीय मिसाइल परीक्षण में स्वदेशी रूप से विकसित जमीन से प्रक्षेपित टू-स्टेज मिसाइल प्रणाली शामिल थी, जिसका उद्देश्य अलग-अलग ऊंचाई वाले वायुमंडलीय क्षेत्रों में दुश्मन की कई तरह की बैलिस्टिक मिसाइलों को नस्ट करना था. यह प्रणाली बहुस्तरीय दृष्टिकोण पर आधारित है, भूमि और समुद्र-आधारित इंटरसेप्टर मिसाइलों का उपयोग करती है. इसमें रडार और कमांड के साथ ही कंट्रोल पोस्ट का एक ओवरलैपिंग नेटवर्क है, जो आने वाले खतरों का शीघ्र पता लगाने के साथ ही उनकी ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है. जबकि स्वदेशी BMD की पूर्ण परिचालन तैनाती अभी भी कम से कम एक दशक दूर है, भारत ने रूसी S-400 के साथ इस अंतर को भरने की कोशिश की है.
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