Jaddanbai Story: कहानियां तो आपने कई सुनी होगी. लेकिन ये सच्ची और इंस्पारिंग स्टोरी नहीं सुनी होगी. वो तवायफ जिसने खुद तो बुलंदियों को छुआ ही बल्कि बेटी को भी सुपरस्टार बनाया. चलिए सुनाते हैं कहानी जद्दनबाई की.
एक जमाना था जब फिल्मों में औरतों के लिए काम करना तवायफों से भी बुरा काम माना जाता था. मगर दुर्गाबाई से लेकर फातिमा बेगम जैसी महिलाओं ने इस सोच को तोड़ा और खूब नाम कमाया. ऐसा एक नाम और है जद्दनबाई. वही जद्दनबाई जिनका जन्म कोठे पर हुआ. ऐसी औरत जिसके प्यार में दो-दो ब्राह्मण मुसलमान बनने को तैयार हो गए. आगे चलकर वह फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला संगीतकार भी बनी.
जद्दनबाई की बेटी है नरगिस दत्त हैं. जिनके बेटे संजय दत्त और पति सुनील दत्त हुए. नरगिस की मां का जन्म जिन मुश्किलों में हुआ और जिन कांटों पर चलकर उन्होंने अपना रास्ता खोजा वो आज भी मिसाल है. चलिए आज आपको जद्दनबाई की कहानी से रूबरू करवाते हैं.
जद्दनबाई की मां दलीपाबाई थीं. जो प्रयागराज के कोठे पर तवायफ हुआ करती थीं. जद्दनबाई की मां को इस रास्ते पर जबरदस्ती धकेला गया था. दरअसल दलीपाबाई की शादी हुई तो बारात पर डाकूओं ने हमला कर दिया. दूल्हे को भी गोलियों से भून दिया. जैसे तैसे कुछ लोग और दलीपाबाई जान बचाकर ससुराल भाग गए. मगर ससुरालवालों ने अभागी मानकर अत्याचार करना शुरू कर दिए. इतनी पीड़ा सही कि वह घर छोड़ने पर मजबूर हो गईं. मगर एक दिन कुछ लोगों ने उन्हें कोठे पर बेच दिया. इस दलदल में वह ऐसा फंसी कि फिर दोबारा कभी निकलकर न भाग सकीं.
यहीं दलीपाबाई की शादी एक सारंगी के जानकार मियां जान से हुई. दलीपाबाई तो ब्राह्मण परिवार से आती थीं लेकिन निकाह के बाद वह मुस्लिम हो गईं. यहीं उनकी बेटी जद्दनबाई का जन्म हुआ. अब मां की तरह जद्दनबाई भी संगीत में रुचि लेने लगी. मां से ही उन्हें गाने बजाने का हुनर मिला. आगे चलकर वह ठुमरी और गजलों में ऐसी माहिर हो गईं कि जो सुनता वह उनका दीवाना बन जाता.
कहते हैं कि जिस कोठे पर जद्दनबाई की परवरिश हुई वहां जिस्म का नहीं बल्कि फनकार का कारोबार होता था. आगे चलकर जद्दनबाई की तीन शादियां हुई. पहली शादी गुजराती बिजनेसमैन नरोत्तम दास से हुई जो उनके प्यार में इस कदर पागल थे कि उन्होंने धर्म तक बदल लिया. दोनों का एक बेटा अख्तर हुसैन भी हुआ. मगर फिर एक दिन वह अचानक बीवी और बेटे को छोड़कर चले गए. आगे चलकर जद्दनबाई ने दूसरी शादी कोठे पर ही हारमोनियम बजाने वाले उस्ताद इरशाद मीर से की. दोनों का एक बेटा अनवार हुसैन हुआ.
तीसरी शादी उन्होंने कोलकाता में की. एक अमीर खानदानी परिवार के मोहन बाबू से. इस बार जद्दनबाई घर बसाने में डर रही थीं. वह नहीं चाहती थीं कि मोहन बाबू उनके लिए अपनी जिंदगी खराब करें. दो शादी टूट चुकी हैं, दो बच्चों की मां हैं. तवायफ का टैग है. तो वह इस बदनामी को क्यों गले लगाना चाहते हैं.
मगर मोहन बाबू नहीं माने और वह जद्दनबाई के लिए इस्लाम कुबूल करने से लेकर परिवार को छोड़ने के लिए भी तैयार थे. इसी शादी से जद्दनबाई को एक बेटी हुई जिनका फातिमा रशीद रखा गया. आगे चलकर वह फिल्मों का हिस्सा बनीं और नाम बदलकर रखा नरगिस.
जद्दनबाई और मोहन बाबू ने आगे चलकर गायिकी में खूब काम किया. नरगिस की मां ने कई शहरों में महफिल सजाई. उनकी गायिकी के लोग काफी एन्जॉय करते थे. आगे चलकर उन्होंने रोडियो के लिए तो ग्रामोफोन में इनकी गजलें रिकॉर्ड हुईं. उन्होंने इस कदर तरक्की हासिल की कि अपना म्यूजिक कंपनी खोली. एक्टिंग तक भी की. खुद की कहानियां लिखीं. (AI तस्वीर)
मालूम हो, जद्दनबाई की बेटी नरगिस में खूब नाम कमाया. 11 मार्च 1958 को नरगिस ने सुनील दत्त से शादी की. दोनों के तीन बच्चेसंजय, नम्रता और प्रिया दत्त हुए. कैंसर के चलते उनका निधन हो गया था. (तस्वीर AI से)
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