तितलियों के करफुल डिजाइन और अनोखे पैटर्न के पीछे साइंटिस्ट्स ने दो खास वजह पता लगाई हैं, पहला है मूल रंगों का पिग्मेंटेशन, लेकिन दूसरी प्रक्रिया में रंगों में विविधता के कारण तितली के हिलने डुलने पर भी उनका रंग बदलता नजर आता है. इसमें तितली में विभिन्न रंगों का संयोजन लगता है.
बटरफ्लाई अपने पंखों के रंगीन पैटर्न के कारण सभी को आकर्षित करती हैं. तितलियों के पंखों में इस तरह से आकर्षक पैटर्न बनने का मुख्य कारण है पिगमेंटेशन, जो सामान्य रंग के लिए जिम्मेदार होता है. यह तितलियों का रंग बदलता नहीं है, नियमित रूप से एक रंग बनाए रखता है.
इसमें किसी भी एंगल और कम लाइट में देखने पर भी बदालव नहीं आता. पौधों की पत्तियों में भी ग्रीन कलर का पिग्मेंट क्लोरोफिल होता है. यह हरे रंग के अलावा सभी रंगों के प्रकाश को अवशोषित करता है, जिससे पत्ते हरे दिखते है. यह रंग हर हाल में बरकरार रहता है.
पौधों के क्लोरोफिल का सिद्धांत तितलियों के पंखों में पर भी प्रभावी होता है. तितलियों के पंखों में पीले, भूरे और काले गहरे रंग का मेलानिन पिग्मेंट जिम्मेदार होता है. यही पिग्मेंट इंसानों की त्वचा में भी पाया जाता है.
तितलियों में रंग में विविधता और पैटर्न लाने के पीछे दूसरी वजह इरिडिसेंस नामक प्रक्रिया है. इससे जैसे-जैसे आप वस्तु की तुलना में अपनी स्थिति बदलते हैं, उस वस्तु का रंग भी बदलने लगता है. जब प्रकाश पारदर्शी वस्तु की बहुत सारी सतहों से प्रकाश गुजरता है, तो वह कई तरह से प्रतिबिंबित होता है. इसी वजह से कोणों के बदलाव के चलते रंगों में बदलते नजर आते हैं.
साबुन के बुलबुले इरिडिसेंस प्रोसेस को समझने का बेहतर उदाहरण हैं. तितलियों के पंख कई महीन पारदर्शी परतों से मिलकर बनते हैं, इसलिए संरचना के अनुसार उनके पंखो में विभिन्न तीव्रता के रंग नजर आते हैं.
जब तितलियों के पंखों में पिग्मेंटेशन और इरिडिसेंस के दोनों कारणों एक साथ मिलते हैं, तब उनके पंखों का रंह बेहद खास नजर आता है. जैसे यलो पिग्मेंटेशन वाले पंख में इरिडिसेंस के कारण लाल रंग का समावेश होता है, तब तितली नारंगी रंग की दिखती है. ऐसे में उसके हिलने से उसका रंग भी बदलता दिखता हुआ नजर आता है.
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