Asian Countries That Have Never Been Colonised By European Powers: दुनिया में यूरोपियन साम्राज्यवाद की शुरुआत 15वीं सदी के आखिर में शुरू हुई थी जब क्रिस्टोफर कोलंबस स्पेन की मदद से अपनी समुद्री यात्रा पर निकला था, इसके बाद पुर्तगाल, ब्रिटेन, फ्रांस और नीदरलैंड भी कई देशों को गुलाम बनाने के लिए निकल पड़े. 16 वीं से लेकर 20वीं शताबदी में इन ताकतवर देशों ने यूरोप के बाहर काफी देशों पर कब्जा जमाया. हालांकि एशिया के कई ऐसे देश भी हैं जो इन यूरोपियन पॉवर्स के गुलाम नहीं बन पाए. इन में से कुछ देश भारत के पड़ोस में ही हैं.
जापान एशिया के उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल है जिसे कभी गुलाम नहीं पनाया जा सका, हालांकि इस मुल्क को हमेशा से उपनिवेशवाद का डर था. साल 1905 में रूस ने जापान से जंग लड़ी जिसमें जापानियों को जीत मिली. दूसरे विश्व युद्ध में भी जापान ने जंग में हिस्सा लिया, उसे इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ी, लेकिन ये कंट्री फिर भी किसी यूरोपियन देश के कब्जे में नहीं आई.
थाईलैंड को पहले के जमाने में सियाम नाम से जाना जाता था. वहां के राजा चूललोंगकोर्न ने यूरोप के कई रीति रिवाजों को अपनाया. किंग ने इन देशों की टेक्नोलॉजी में भी दिलचस्पी दिखाई ताकि अपने देश को उपनिवेश बनने से रोका जा सके. साथ ही राजा ने ब्रिटेन से कई कूटनीतिक रिश्ते बनाए और थाईलैंड को आजाद रखने में कामयाब रहे.
हिमालय की गोद में बसा खूबसूरत सा देश हमेशा से आक्रमणकारियों से बचा रहा. हालांकि 1772 से 1774 के ब्रिटिश ने इन पर अटैक किया और उन्हें हराने के बाद छोटे से हिस्से पर कब्जा जमाया. हालांकि भूटान अपनी पॉवर को लेकर नेगोशिएट करने में कामयाबा रहे. 25 अप्रैल 1774 में अग्रेजों और भूटान के बीच शांति और सहयोग के लिए समझौता हुआ, जिसके बाद ब्रिटिश ने अपनी सेना हटा ली.
नेपाल की सेना ने 1814 से लेकर 1816 तक अंग्रेजों से जंग लड़ी, जिसे खोरखा वॉर भी कहा जाता है. हालांकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास ज्यादा बड़ी सेना थी इसलिए वो 30 फीसदी हिस्सों पर कब्जा जमाने में कामयाब रहे, लेकिन वहां के पहाड़ी क्षेत्र अंग्रेजों के लिए मुश्किलें पैदा करते रहे. यही वजह रही कि अंग्रेजों ने नेपाल के ज्यादातर हिस्से को आजाद रखा. साथ ही वो गोरखा सैनिकों के जज्बे से भी प्रभावित हुए.
सऊदी अरब कभी भी यूरोपीय देशों के कब्जे में नहीं आया, पहले यहां ट्राइबल लीडर्स का राज था, लेकिन 16वीं सदी से लेकर 1918 तक ऑटोमन साम्राज्य ने यहां पर शासन किया. पहले विश्व युद्ध में अरब के शाही परिवार ने अंग्रेजों की मदद से ऑटोमन अंपायर का राज खत्म करने में कामयाबी हासिल की.
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